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जालन्धर (जसमीत) : सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट में डैब्यू दो लोगों के कारण हुआ था। एक थे उनके भाई अजित तो दूसरे गुरु रमाकांत आचरेकर। सचिन को बेहतरीन क्रिकेट करियर देने वाले कोच रमाकांत आचरेकर अब नहीं रहे। द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त आचरेकर 87 वर्ष के थे। उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि बढती उम्र से जुड़ी बीमारियों के कारण उनका निधन हो गया। उनके रिश्तेदार रश्मि दलवी ने प्रेस ट्रस्ट को बताया- आचरेकर सर हमारे बीच नहीं रहे। उनका आज शाम निधन हो गया। तेंदुलकर के बचपन के कोच आचरेकर पद्मश्री से नवाजे जा चुके हैं। तेंदुलकर के अलावा वह विनोद कांबली, प्रवीण आम्रे, समीर दिघे और बलविंदर सिंह संधू के भी कोच रहे हैं। सचिन से उनका खास लगाव रहा है। पेश है सचिन से जुड़े उनके चार किस्से-

दूसरे के लिए ताली नहीं बजानी तुम्हें
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सचिन ने कोच रमाकांत से जुड़ी एक याद सांझा करते हुए बताया कि स्कूल के दिनों में मैं जूनियर टीम के लिए खेलता था। हमारी सीनियर टीम हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी। उधर मुझे एक प्रैक्टिस मैच खेलना था। कोच मेरे पास आए बोले- मेरी बात हो गई है तुम फील्डिंग से आराम ले लेना। सीधा बैटिंग करने जाना। मैंने हां में हां मिलाई और सीनियर्स का मैच देखने लग गया। शाम हुई तो मुझे कोच रमाकांत मिले। बोले- कितने रन बनाए। मैंने कहा- मैं खेलने गया ही नहीं। सीनियर टीम को चीयर कर रहा था। कोच उनकी बात पर बेहद खफा हुए। बोले- तुमने दूसरों के लिए ताली नहीं बजानी है, बल्कि कुछ ऐसा करो कि दुनिया तुम्हारे लिए ताली बजाए।

अच्छा खेलने पर पानी पूरी खिलाते थे गुरु रमाकांत
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बच्चों के स्वास्थ पर लिखी गई किताब ‘इवन व्हेन दियर इज ए डाक्टर’ के विमोचन पर सचिन ने अपने गुरु से जुड़ी एक कहानी लोगों से शेयर की थी। सचिन ने कहा, हमारे कोच बेहद सख्त थे। लेकिन मैं जब अच्छा खेलता था तो सर मुझे भेल पूरी या पानी पूरी खिलाने ले जाते थे। वह खुश होते थे क्योंकि मैंने मैदान में रन बनाए होते थे।  सचिन ने कहा- कोच, गुरू हमारे माता-पिता की तरह हैं क्योंकि हम उनके साथ इतना समय बिताते हैं, हम उनसे इतनी सारी चीजें सीखते हैं।

विकेट पर एक रुपए का सिक्का रखते थे कोच
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सचिन ने बताया कि बचपन में कोच रमाकांत हमें अच्छी ट्रेनिंग के लिए प्रेरित करने के लिए कई काम करते थे। सचिन ने बताया कि कोच रमाकांत प्रैक्टिस के वक्त एक रुपए का सिक्का विकेट के ऊपर रख देते थे। कहते थे- अगर सचिन को कोई बोल्ड कर गया तो सिक्का उसका। और अगर सचिन बोल्ड नहीं हुआ तो सिक्का सचिन का। सचिन का कहना है कि उनके पास अभी भी 13 ऐसे सिक्के जमा है जो वह समझते हैं कि उन्होंने क्रिकेट में अपनी लगन से कमाए हैं।

बीमार होने के बावजूद देखा था सचिन का आखिरी मैच
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कोच रमाकांत सचिन को बेहद प्यार करते थे। इसलिए बीमारी के बावजूद वह सचिन का वैस्टइंडीज के खिलाफ आखिरी टैस्ट मैच देखने गए थे। बताया जाता है- सांस लेने में तकलीफ के बावजूद उन्होंने पूरा मैच देखा। बाद में सचिन ने इसे अपने लिए बेहद खास बताया। सचिन ने मैच के बाद कहा- कोच बेहद तकलीफ में होने के बावजूद उनका मैच देखने आए। यही चीज बताते हैं कि वह अपने शिष्य को कितना प्यार करते हैं।