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गोल्ड कोस्ट : जब वह शूटिंग रेंज के अंदर होता है तो उसका आत्मविश्वास किसी मंझे हुए खिलाड़ी जैसा रहता है लेकिन जैसे ही अनीश भानवाला रेंज से बाहर निकलता है तो एक 15 साल के किशोर की तरह उसे भी गणित के पेपर की ङ्क्षचता सताने लग जाती है। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के सबसे कम उम्र के स्वर्ण पदक विजेता की अभी यही स्थिति है। हरियाणा के इस युवा ने 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने इस दौरान खेलों का नया रिकॉर्ड भी बनाया। अब उनके पास रिकार्ड स्वर्ण पदक है लेकिन अब वह एक और परीक्षा को लेकर ङ्क्षचतित हैं। 

मैथ को लेकर चिंतित है अनीश 
अनीश ने कहा- मुझे भारत पहुंचने के तुरंत बाद दसवीं की परीक्षा देनी है। उसमें हिन्दी, सामाजिक विज्ञान और मैथ के पेपर होने हैं। मैं गणित को लेकर थोड़ा ङ्क्षचतित हूं। मैंने उसकी खास तैयारी नहीं की है। उन्होंने कहा- मुझे अब लगातार तीन दिन तक उस पर ध्यान देना होगा। सीबीएसई ने अनीश के लिए अलग से परीक्षा की व्यवस्था की है।

सीबीएसई का भरोसा जताने पर किया धन्यवाद
अनीश मैक्सिको आईएसएसएफ विश्व कप और सिडनी में आईएसएसएफ जूनियर विश्व कप का हिस्सा थे और इसके बाद उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेना पड़ा। उन्होंने कहा- मुझे खुशी है कि उन्होंने (सीबीएसई) ने मुझ पर जो भरोसा दिखाया उस पर मैं खरा उतरा। यह अच्छा लग रहा है। उन्होंने मेरे लिये बहुत बड़ा फैसला किया। 

पैंटाथलन था अनीश का पहला प्यार
अनीश ने कहा- मुझे पदक की पूरी उम्मीद थी क्योंकि अन्य टूर्नामेंटों में भी मैंने अच्छा प्रदर्शन किया था। नाम बदलते रहे लेकिन मैंने वही परिणाम हासिल किए। सोनीपत के गोहाना कसांडी गांव में जन्में अनीश का पहला प्यार निशानेबाजी नहीं है। उन्होंने 2013 में अंडर-12 माडर्न पैंटाथलन विश्व चैंपियनशिप और 2015 में एशियाई पैंटाथलन चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था।

मैंने वास्तव में दबाव का आनंद उठाया
पैंटाथलन में निशानेबाजी, तैराकी, तलवारबाजी, घुड़सवारी और क्रॉस कंट्री दौड़ शामिल होती है। आखिर में इनमें से अनीश से निशानेबाजी को अपनाया। उन्होंने कहा- मुझे रेंज में मजा आता है। अच्छा प्रदर्शन करने के दबाव में मैं बेहतर परिणाम हासिल करता हूं। यहां क्वालीफिकेशन में मैं अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया और मैं उसकी भरपायी फाइनल में करने के लिए प्रतिबद्ध था। मैं वास्तव में दबाव का पूरा आनंद उठाता हूं।