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स्पोर्टस डेस्क: मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच में भारतीय टीम के उप कप्तान ऋषभ पंत ने साबित कर दिया कि जज़्बा ही असली खेल है। पहले दिन क्रिस वूक्स की यॉर्कर पर रिवर्स स्वीप प्रयास करते समय उनके पैर में चोट लग गई और वह 37* रन पर रिटायर्ड हर्ट होकर मैदान से बाहर आ गए। लेकिन दूसरे दिन शार्दुल ठाकुर के आउट होने के बाद पंत ने दर्द के बावजूद बल्लेबाजी करने का साहस दिखाया जिसके बाद पूर्व भारतीय खिलाड़ी और विश्लेषक संजय मांजरेकर ने पंत की प्रशंसा की।

मांजरेकर ने कहा, 'जब आप इस तरह की चीजें करते हैं, जैसे कि अनिल कुंबले ने जबड़े में पट्टी बांधकर गेंदबाजी की थी तो ये इतिहास के वो पल होते हैं जिन्हें आप 50 साल बाद भी याद रखते हैं। ये दर्शाता है वो भारत के लिए खेलने को लेकर कितने अधिक समर्पित हैं। टेस्ट क्रिकेट जब इंग्लैंड में खेला जा रहा तो ये बहुत अधिक स्पेशल हो जाता है। एक क्रिकेटर के तौरपर आपके ऊपर बहुत अधिक ध्यान होता है। आप अपना बेस्ट देना चाहते हैं। सफेद गेंद में उनका वैसा प्रभाव नहीं है लेकिन रेड बॉल में पंत किसी भी अन्य फॉर्मेट से ज्यादा प्रभाव छोड़ना चाहते हैं।'

संजय मांजरेकर ने आगे कहा, 'वो चोटिल हैं और इस बात को नजरअंदाज मत करिए। अगर किसी दिन उसे बताया जाये कि वो अप्नेपैर नहीं हिला सकता तो भी उसका हैंड-आई कोर्डिनेशन इतना अच्छा है कि वो उससे ही हावी हो जाता है। इंग्लैंड को इसके चिंता होगी कि पंत वापस आ गया है।'

गौर है कि पंत ने 75 गेंदों में 54 रन की पारी खेली जिसमें उन्होंने एक छक्का भी लगाया। यह उनकी 19वीं टेस्ट फिफ्टी थी  हालांकि वह जॉफ़्रा आर्चर की शानदार गेंद का शिकार बने। यह पारी टीम के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरी पूर्व भारतीय खिलाड़ी और विश्लेषक संजय मांजरेकर ने इस घटना की तुलना अनिल कुंबले के ब्रोकन जॉ में गेंदबाजी करने वाले इतिहासिक पल से की।