बाकू (अजरबैजान), 24 अगस्त (निकलेश जैन) : विश्व के नंबर-1 शतरंज खिलाड़ी और 5 बार के विश्व चैम्पियन मैगनस कार्लसन (Magnus Carlsen) ने आखिरकार भारत के 18 वर्षीय ग्रैंड मास्टर आर. प्रज्ञानन्दा (Praggnanandhaa) को विश्व कप फाइनल के टाईब्रेक में पराजित करते हुए विश्व कप जीत लिया। अन्य खेलों से इतर शतरंज में विश्व चैम्पियनशिप का रास्ता विश्व कप से होकर जाता है और कार्लसन 5 बार विश्व चैम्पियन रहे पर कभी विश्व कप नहीं जीत सके थे और अंततः उन्होंने यह खिताब जीतकर शतरंज के सभी प्रतिष्ठित खिताब जीतने के मामले में भारत के विश्वनाथन आनंद की बराबरी कर ली। अब कार्लसन और आनंद अकेले ऐसे खिलाड़ी है जिन्होंने विश्व चैम्पियनशिप, विश्व कप और फीडे कैंडिडैट तीनों खिताब जीते है। कार्लसन से 2 मैच ड्रॉ खेलने से विश्व रैंकिंग में प्रज्ञानन्दा को फायदा हुआ है। अब वह विश्व रैंकिंग में 9 स्थान सुधार करते हुए 2,727 अंकों के साथ पहली बार टॉप-20 में शामिल हो गए है।
कैंडिडेट्स टूर्नामैंट में स्थान पक्का : प्रज्ञानन्दा ने इसी के साथ कैंडिडेट्स टूर्नामैंट 2024 में अपना स्थान बना लिया। वह मैग्नस कार्लसन और बॉबी फिशर के बाद इस टूर्नामैंट में पहुंचने वाले तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी है।
कहां हुई प्रज्ञानन्दा से चूक
25 मिनट के पहले टाईब्रेक में आर. प्रज्ञानन्दा ने सफेद मोहरों से इटैलियन ओपनिंग में कार्लसन के ऊपर आक्रमण करने की भरपूर कोशिश की। एक समय तक वह उसमें सफल होते हुए भी नजर आ रहे थे पर 14वीं चाल में उनके घोड़े की एक गलत चाल से कार्लसन ने खेल में बराबरी हासिल कर ली। इसके बाद 40 चालों तक खेल लगभग बराबरी पर था और ऐसे में जब प्रज्ञानन्दा के पास घड़ी में 18 सैकेंड बाकी थे। उन्होंने जीतने के लिए अपना ए फाइल का प्यादा कुर्बान करने का निर्णय लिया, पर यह गलत चाल साबित हुई। उसके बाद कार्लसन ने अपने हाथी और घोड़े से सटीक चाले चलते हुए प्रज्ञानन्दा के राजा को घेरकर 47 चालों में जीत दर्ज की। अब यहां से प्रज्ञानन्दा को जीत की जरूरत थी लेकिन मैगनस ने दूसरा टाइब्रेक ड्रा खेल कर 1.5-0.5 से खिताब जीत लिया।
फाइनल तक का सफर
पहला दौर : बाई मिला
दूसरा दौर : फ्रांस के मैक्सिम लागार्डे को 1.5-0.5 से हराया।
तीसरा दौर : चैक गणराज्य के डेविड नवारा को 1.5-0.5 से हराया।
चौथा दौर : अमरीका के हिकारू नकामूरा को 3-1 से मात दी।
5वां दौर : हंगरी के फेरेंग बेरकेस को 1.5-0.5 से हराया।
छठा दौर : हमवतन अर्जुन एरिगेसी को 5-4 से हराया।
सैमीफाइनल : अमरीका के फेबियानो कारूआना को 3.5-2.5 से हराया।
फाइनल : पहला मुकाबला 35 तो दूसरा 30 चालों के बाद ड्रॉ। टाइब्रेक में मिली हार।
मेरे परिवार ने मेरा बहुत समर्थन किया
मैं बिल्कुल शांत था, मुझे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा था और मैं बस अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता था। मैं बेहतर खेल सकता था, लेकिन यह ठीक है। मुझे लगता है कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए परिवार का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है। मेरे परिवार ने मेरा बहुत समर्थन किया है और मैं उनका बहुत आभारी हूं। -प्रज्ञानन्दा
मेरा अनुभव मेरे काम आया
ईमानदारी से कहूं तो इस साल मेरे खेलने के ज्यादा प्लान नहीं थे। मैंने आखिरी मोंमैंट में इसके लिए (विश्व कप) रजिस्ट्रेशन करवाया था। मेरी शुरूआत अच्छी नहीं थी लेकिन तब मैंने सोचा कि मैं विश्व कप में क्या देकर जाऊंगा। मुझे लगता है कि इस टूर्नामैंट में मेरा अनुभव मेरे काम आया। -मैगनस कार्लसन
पिता को हुआ था पोलियो अटैक, मेहनत कर बच्चों को दिलवाई ट्रेनिंग
प्रज्ञानन्दा को आगे बढ़ाने में उनके पिता रमेशबाबू का बड़ा योगदान रहा। पिता बचपन में पोलियो का शिकार हो गए थे। जिसकी वजह से वह ठीक से चल नहीं पाते थे। प्रज्ञानानंद को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अच्छी जॉब के लिए खुद को काबिल बनाया और बेटे के सारे खर्च उठाए ताकि वह चैस में मास्टर बन सके। हालांकि रमेशबाबू पहले इसके लिए तैयार नहीं थे। बेटी वैशाली भी चैस प्लेयर थी। घर के आर्थिक हालातों को देखते हुए रमेशबाबू केवल एक बच्चे की ट्रेनिंग का खर्च उठा पाने में सक्ष्म थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत कर दोनों को ट्रेनिंग दिलवाई। अब प्रज्ञानन्दा उनका सपना सच कर रहे हैं।
चौतरफा मिली बधाइयां
हमें फिडे विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करने वाले प्रज्ञानन्दा पर गर्व है। उन्होंने असाधारण कौशल का प्रदर्शन करके मैगनस कार्लसन जैसे दिग्गज को फाइनल में कड़ी टक्कर दी। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। उन्हें आगामी टूर्नामेंटों के लिए शुभकामनाएं। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
प्रज्ञानन्दा कैंडिडेट्स में जगह बनाकर लौटेगा और यह शानदार नतीजा है। आखिर में मैगनस की जीत। अभी तक वह इस टूर्नामेंट को जीत नहीं सका था और अब यहां खिताब जीत लिया। फिडे विश्व कप 2023 विजेता मैगनस कार्लसन को बधाई। -विश्वनाथन आनंद
मैगनस कार्लसन को जीत की बधाई जिसके वह हकदार थे। प्रज्ञानन्दा ने शानदार खेला। सुनहरी यादें और कुछ सबक भी। अब आगे। -आर.बी. रमेश, प्रज्ञानानंदा के कोच
हमने कभी उस पर दबाव नहीं डाला। मैं उसके प्रदर्शन से बहुत खुश हूं। वह दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी से खेल रहा था। रजत पदक भी बड़ी उपलब्धि है। उसने मेरी उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया। हर मुकाबले के साथ उसके खेल में निखार आया है। कल चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद उसने आज फिडे विश्व कप में ऐसा प्रदर्शन करके देश को गर्व करने का एक और मौका दिया है। -रमेश बाबू, प्रज्ञानानंदा के पिता
एक अविश्वसनीय टूर्नामैंट के लिए बधाई आर. प्रज्ञानानंदा। अपने सपनों का पीछा करते रहें और भारत को गौरवान्वित करते रहें। -सचिन तेंदुलकर, भारत रत्न क्रिकेटर
क्यों भारत के लिए खास था प्रज्ञानन्दा का फाइनल में पहुंचना
80 के दशक के जब आनंद सुर्खियों में आए थे तो वह अकेले भारतीय थे जो इस बड़े मंच पर पहुंचे थे। लेकिन प्रज्ञानन्दा को टक्कर देने के लिए कई भारतीय प्लेयर ही उनके सामने थे। जाहिर है भारतीय चैस फैंस का फोक्स उनपर नहीं था जिससे उसे मदद भी मिली। इसके अलावा सैमीफाइनल में जगह पक्की करने के लिए जब प्रज्ञानन्दा के सामने उनके दोस्त अर्जुन एरीगैसी थे, तो किसी एक भारतीय का आगे बढ़ना तय था। कहा जाता है कि जब लड़ाई 2 भारतीयों के बीच होती है तो एक की प्रगति होना सुनिश्चित होती है। चीन के बैडमिंटन और टेबल टैनिस प्लेयरों की एक रणनीति होती है कि वह सभी मिलकर शिकार करते हैं ताकि एक को सफलता मिल जाए। भारतीय भी इस रणनीति को अपनाते हुए दिखे। भारतीय रणनीति पर बात करते हुए 7 बार के पूर्व राष्ट्रीय चैम्पियन प्रवीण थिप्से ने भी बीते दिनों कहा था कि पिछले साल ममल्लापुरम में हुई शतरंज ओम्लिपियाड ने भारतीय शतरंज के विकास में बड़ा योगदान डाला। उन्होंने कहा कि जब आप युवा भारतीय टीम (गुकेश, प्राग, निहाल सरीन, बी अधिबान, रौनक साधवानी) को अधिक अनुभवी टीम (पी. हरिकृष्णा, विदित गुजराती, एस.एल. नारायणन, के. सस्किरन और एरिगैसी अर्जुन) से बेहतर प्रदर्शन करते हुए देखते हैं तो आप समझ जाते हैं कि भारतीय शतरंज तरक्की कर रही है।