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मुंबई : अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) के महासचिव कुशल दास का कहना है कि देश में फुटबॉल की सबसे बड़ी समस्या लीग के मजबूत ढांचे का अभाव है। भारतीय पुरुष फुटबॉल लीग प्रणाली में  तीन डिवीजन (इंडियन सुपर लीग, आई-लीग और आई-लीग दूसरा डिवीजन) शामिल हैं। इसके अलावा महिलाओं के लिए भारतीय महिला लीग (आईडब्ल्यूएल) है। फीफा रैंकिंग में 106 वें स्थान पर काबिज भारतीय पुरुष टीम का लक्ष्य लगातार दूसरे एएफसी एशियाई कप फाइनल के लिए क्वालीफाई करना है। राष्ट्रीय टीम जून में क्वालीफायर के लिए ग्रुप डी में अफगानिस्तान (150), कंबोडिया (171) हांगकांग (147) के साथ है। 

दास ने यहां ‘अंतरराष्ट्रीय खेल एक्स्पो’ के लॉन्च के मौके पर कहा कि यह इतना लोकप्रिय खेल है, इसे खेलना आसान है, फिर भी भारत उस स्थान से बहुत दूर है जहां इसे होना चाहिए और यह एक बहुत ही वैध प्रश्न है। मुझे लगता है कि भारतीय फुटबॉल के साथ मुख्य मुद्दा लीग संरचना है। भारत ने 2007 में आई-लीग की शुरुआत की, जबकि जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने लीग टूर्नामेंटों को  बहुत पहले शुरू कर दिया था।

दास ने स्वीकार किया कि भारत उस मोर्चे पर भी देर से आया था। उन्होंने कहा कि भारत 70 के दशक में जापान को हरा देता था, 60 के दशक में हमने कोरिया को हराकर एशिया कप जीता था लेकिन इसके बाद हमारा पतन होने लगा। इसका कारण बहुत सरल है। जापान और कोरिया ने 80 के दशक में लीग फुटबॉल की शुरुआत की थी। हमने 2007 में आई-लीग शुरू किया। इसलिए हम 20 साल पीछे हैं। 

उन्होंने यह भी कहा कि इंडियन सुपर लीग की अवधि को और बढ़ाने की जरूरत है। आईएसएल अब देश की शीर्ष लीग है, आई-लीग को एक पायदान नीचे कर दिया है। उन्होंने कहा कि हम मौजूदा ढांचे को मजबूत करने की कोशिश कर रहे है।  अब हमारे पास आईएसएल है, निश्चित रूप से आईएसएल की अवधि बढ़ाने की जरूरत है।

उम्मीद है कि अगले साल या आगे जाकर, हमारे पास एक ऐसा ढांचा होगा जहां फुटबॉल सभी स्तरों पर छह से आठ महीने के लिए खेला जाएगा।  दास ने कहा कि सिर्फ सीनियर स्तर पर ही नहीं, यह अंडर 13, अंडर 15, अंडर 18 लड़कों और लड़कियों में होना चाहिए, और हमें इसे स्थापित करने की जरूरत है, उम्मीद है कि ऐसा होगा।