स्पोर्ट्स डेस्क: दुनिया के महानतम फुटबॉलरों में शुमार लियोनेल मेस्सी का भारत आगमन महज एक भव्य आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय फुटबॉल के लिए संभावनाओं से भरा अवसर माना जा रहा है। उनकी मौजूदगी से खेल को वैश्विक मंच पर पहचान मिली और युवा खिलाड़ियों में उत्साह भी देखने को मिला। हालांकि बड़ा सवाल यही है कि क्या यह दौरा भारतीय फुटबॉल के भविष्य में कोई ठोस बदलाव ला पाएगा।
मैच या प्रशिक्षण से बन सकता था दौरा ज्यादा प्रभावी
अगर यह दौरा फुटबॉल के वास्तविक विकास को ध्यान में रखकर होता, तो मेस्सी का भारतीय राष्ट्रीय टीम या किसी स्थानीय क्लब के खिलाफ मुकाबला खेलना ज्यादा सार्थक होता। 1977 में पेले द्वारा मोहन बागान के खिलाफ खेला गया ऐतिहासिक मैच आज भी याद किया जाता है। इसके अलावा, किसी फुटबॉल अकादमी का दौरा, युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना या वंचित बच्चों से मुलाकात इस यात्रा को खेल और समाज—दोनों के लिए उपयोगी बना सकती थी।
कमजोर दौर से गुजर रहा है भारतीय फुटबॉल
मेस्सी का दौरा ऐसे समय हुआ जब भारतीय फुटबॉल कठिन दौर से गुजर रहा है। नवंबर 2025 की फीफा रैंकिंग में भारतीय पुरुष टीम 142वें स्थान पर है। वहीं, इंडियन सुपर लीग (ISL) के भविष्य, ढांचे और स्थिरता को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है।
खेल से ज्यादा दिखी मार्केटिंग
यह दौरा फुटबॉल से अधिक मार्केटिंग केंद्रित नजर आया। भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखते हुए यह यात्रा इंटर मियामी के प्रचार और अगले साल होने वाले वर्ल्ड कप को लेकर उत्साह पैदा करने तक सीमित रही। कई ऐसे लोग भी मेस्सी के साथ फोटो खिंचवाने को उत्साहित दिखे, जिनका खेल से सीधा कोई संबंध नहीं था।
क्रिकेट बैट भेंट करना बना चर्चा का विषय
दौरे के दौरान कुछ अजीब दृश्य भी सामने आए। ICC अध्यक्ष जय शाह द्वारा मेस्सी को भारतीय क्रिकेट टीम के हस्ताक्षर वाला बैट भेंट करना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना। फुटबॉल से जुड़े इस दौरे में क्रिकेट प्रतीकों की मौजूदगी पर सवाल भी उठे।
मजबूत फुटबॉल संस्कृति की दरकार
भारत को एक मजबूत फुटबॉल राष्ट्र बनने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना होगा। इसके लिए माता-पिता का सहयोग, स्कूलों में बेहतर खेल ढांचा और शिक्षा प्रणाली में खेल को पर्याप्त महत्व देना बेहद जरूरी है।
ISL की संरचनात्मक चुनौतियां
आईएसएल के शुरुआती दो सत्र सफल जरूर रहे, लेकिन प्रमोशन और रेलिगेशन सिस्टम की कमी ने प्रतिस्पर्धा को कमजोर किया। साथ ही विदेशी स्ट्राइकरों पर अधिक निर्भरता के चलते भारतीय फॉरवर्ड्स का विकास प्रभावित हुआ, जिसका असर राष्ट्रीय टीम पर साफ दिखता है।
खिलाड़ियों की उपलब्धता और ‘इंडियन एरोज़’ पहल
राष्ट्रीय टीम के लिए एक और बड़ी समस्या यह है कि क्लब अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के दौरान खिलाड़ियों को रिलीज नहीं करते। ऐसे में एआईएफएफ की ‘इंडियन एरोज़’ पहल अहम साबित हुई, जिसने वैकल्पिक प्रतिभाओं का मजबूत पूल तैयार किया।
भव्य आयोजन, लेकिन सीमित असर
कुल मिलाकर, लियोनेल मेस्सी का भारत दौरा भले ही भव्य, चर्चित और ग्लैमर से भरपूर रहा हो, लेकिन भारतीय फुटबॉल को इससे कोई स्थायी लाभ मिलता नजर नहीं आया। जब तक जमीनी स्तर पर संरचनात्मक सुधार और मजबूत खेल संस्कृति विकसित नहीं होती, तब तक ऐसे बड़े दौरे सिर्फ सुर्खियों और उत्साह तक ही सीमित रहेंगे।