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हैदराबाद : इशान किशन ने पिछले साल की निराशा को पीछे छोड़ते हुए इंडियन प्रीमियर लीग में अपनी नयी टीम सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) के लिए पदार्पण को 47 गेंद में नाबाद 106 रन की पारी खेल कर यादगार बनाया। इस 26 साल के खिलाड़ी की आक्रामक पारी से हैदराबाद ने राजस्थान रॉयल्स को 44 रन से हराकर सत्र का शानदार आगाज किया। 

भारतीय टीम के लिए तीनों प्रारूपों में खेल चुके इस विकेटकीपर बल्लेबाज के लिए हालांकि पिछला साल अच्छा नहीं रहा और इससे उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। उन्होंने आईपीएल में अपनी पहली शतकीय पारी के दम पर ‘प्लेयर ऑफ द मैच' का खिताब लेने के बाद कहा, ‘मैं थोड़ा नर्वस था। टीम में पैट (कमिंस) और कोच ने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया। माहौल बहुत शांत है। मैंने मैदान पर अपनी पारी का लुत्फ उठाया।' 

पिछले साल लगभग इसी समय किशन को बीसीसीआई के केंद्रीय अनुबंधों से हटा दिया गया था क्योंकि राष्ट्रीय चयनकर्ताओं और बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों को लगा कि वह रणजी ट्रॉफी ट्रॉफी को तरजीह नहीं दे रहे हैं। उस समय किशन ऋषभ पंत और संजू सैमसन के साथ देश के शीर्ष तीन विकेटकीपर-बल्लेबाजों में से एक थे लेकिन बोर्ड के इस इस फैसले के बाद वह काफी पीछे चले गए। 

राष्ट्रीय टीम का साथ छूटने से अचानक उनके पास बहुत समय था। किशन ने कहा कि उन्होंने इस समय का अच्छे से इस्तेमाल किया। किशन पहले घनसोली में मुंबई इंडियंस के मैदान पर प्रशिक्षण लेते थे लेकिन इस बार उन्होंने अपने पैसे का उपयोग अपने गृहनगर पटना में अपनी खुद की क्रिकेट अकादमी बनाने में किया। किशन के अभ्यास पर नजर रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘वह हर दिन दो सत्रों में अभ्यास करते थे। सुबह का सत्र उनकी अकादमी में क्रिकेट कौशल पर केंद्रित था। यह दो-तीन घंटे तक चलता था और बहुत गहन होता था। शाम को जिम में समय बिताते थे या एक-दो घंटे की स्पीड ट्रेनिंग करते थे।' 

किशन अपनी तकनीकी खामियों को कम करने के लिए, शाम को अपने बल्लेबाजी अभ्यास के वीडियो का विश्लेषण करने में बिताते थे। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अपने वीडियो का विश्लेषण करने के साथ खेल के मानसिक पहलू पर बड़े पैमाने पर काम किया।' इस दौरान उन्हें परिवार के साथ समय बिताने का मौका भी मिला, जिसने उन्हें तरोताजा रखने में मदद की। इस सूत्र ने कहा, ‘उन्होंने पटना में अपनी अकादमी में प्रशिक्षण लेने का विकल्प चुना। इससे उन्हें अपने स्वयं के वातावरण में केंद्रित रहने और समर्पण के साथ लगातार काम करने का मौका मिला।'