खेल डैस्क : पैरिस ओलिम्पिक में भारतीय दर्शकों को सबसे बड़ी निराशा बैडमिंटन और मुक्केबाजी से हाथ लगी। दोनों गेम में भारत के पास विश्व चैम्पियन थे लेकिन ओलिम्पिक में मानसिक दबाव में दबे यह एथलीट्स एक भी मैडल हासिल नहीं कर पाए।
एथलैटिक्स के बाद बैडमिंटन को मिला था सबसे बड़ा बजट
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों का लंदन ओलिम्पिक (2012) से शुरू हुआ पदक जीतने का सिलसिला 12 साल के बाद पैरिस ओलिम्पिक में थम गया, जो इस खेल के प्रशंसकों के लिए किसी निराशा की तरह था। लक्ष्य सेन ने पुरुष एकल के सैमीफाइनल में पहुंच कर पदक की उम्मीद जगाई थी लेकिन सैमीफाइनल और कांस्य पदक के मुकाबले में अच्छी स्थिति में होने के बावजूद उनकी हार चिंताजनक रही। रियो (2016) और टोक्यो (2021) में पदक जीतने वाली पी.वी. सिंधू से पैरिस में हैट्रिक की उम्मीद थी तो वहीं, सात्विकसाइराज रंकीरेड्डी और चिराग शैट्टी की पुरुष युगल जोड़ी को पदक का सबसे बड़ा दावेदार माना गया था। इन खिलाड़ियों के साथ पुरुष एकल में एच.एस. प्रणय और महिला युगल में अश्विनी पोनप्पा और तनीषा क्रास्टो की जोड़ी भी दबाव में बिखर गई।
बैडमिंटन के लिए 72.03 करोड़ रुपए आवंटित
ओलिम्पिक के पैरिस चक्र के दौरान सरकार ने प्लेयरों के 13 राष्ट्रीय शिविर और 81 विदेशी अनुकूलन दौरे कराए। भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के मिशन ओलिम्पिक सैल ने बैडमिंटन के लिए 72.03 करोड़ रुपए आवंटित किए, जो भारत की ओलिम्पिक तैयारियों के लिए 16 खेल में खर्च किए गए लगभग 470 करोड़ रुपए में से दूसरी सबसे बड़ी राशि है।
सात्विक और चिराग का जादू नहीं चला
विश्व के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी सात्विक और चिराग को स्वर्ण का दावेदार माना गया लेकिन वह आगे नहीं बढ़ पाए। सरकार ने जर्मनी और फ्रांस में सिंधू और लक्ष्य के प्रशिक्षण के लिए क्रमशः 26.60 लाख रुपए और 9.33 लाख रुपए मंजूर किए गए थे। सिंधू की टीम में 12 सदस्यीय सहायक टीम थी, लेकिन वह चीन की ही बिंगजियाओ से आगे निकलने में असफल रहीं। सात्विक और चिराग ने इस साल बी.डब्ल्यू.एफ. के 4 विश्व टूर फाइनल में 2 खिताब जीते थे और 2023 एशियाई खेलों, 2022 राष्ट्रमंडल खेलों और 2023 एशिया चैम्पियनशिप जैसे प्रमुख आयोजनों में कई पदक जीते थे। सरकार ने पेरिस चक्र के लिए इस भारतीय जोड़ी पर कुल 5.62 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन क्वार्टर फाइनल में मलेशिया के आरोन चिया और सोह वूई यिक ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
लक्ष्य सेन दबाव में बिखरे
विश्व चैम्पियनशिप (2023) और एशियाई खेलों में कांस्य पदक विजेता प्रणय को प्रशिक्षण के लिए 1.8 करोड़ रुपए मिले, लेकिन खेलों से पहले चिकनगुनिया ने उनके अभ्यास को बाधित किया। उन्हें प्री-क्वार्टर फाइनल में लक्ष्य से हार का सामना करना पड़ा। अश्विनी और तनीषा को 1.5-1.5 करोड़ रुपए का समर्थन मिला लेकिन यह जोड़ी ग्रुप चरण में कोई भी मैच जीतने में विफल रही। लक्ष्य ने आखिरी के 2 मैचों में असफलता के बावजूद जज्बा और शानदार कौशल का प्रदर्शन किया और चौथे स्थान पर रहे।
उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए भारतीय मुक्केबाज
निकहत जरीन और लवलीना बोरगोहेन जैसे मौजूदा विश्व चैम्पियन खिलाड़ियों के बावजूद भारतीय मुक्केबाज पैरिस ओलिम्पिक में उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाए और उन्हें बिना पदक के वापस लौटना पड़ा। विजेंदर सिंह के बीजिंग ओलंपिक 2008 में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने के बाद भारतीय मुक्केबाजों से ओलिम्पिक में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जाने लगी थी। इसके 4 साल बाद एमसी मैरी कॉम ने लंदन ओलिम्पिक में कांस्य पदक जीता था। रियो ओलिम्पिक 2016 में भारतीय मुक्केबाज पदक नहीं जीत पाए लेकिन टोक्यो ओलिम्पिक में लवलीना कांस्य पदक हासिल करने में सफल रही थी। इस परिदृश्य में उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय मुक्केबाज पदक जीतने का सिलसिला जारी रखेंगे लेकिन उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा।
बॉक्सिंग में 2 पदकों की पूरी उम्मीद थी
खेल के जानकारों का मानना था कि क्वालीफाई करने वाले छह मुक्केबाजों से दो नहीं तो कम से कम एक पदक की उम्मीद की जा सकती है। 2 बार की विश्व चैम्पियन जरीन (50 किग्रा), लवलीना (75 किग्रा) और विश्व चैम्पियनशिप 2023 के कांस्य पदक विजेता निशांत देव (71 किग्रा) सभी को पोडियम पर पहुंचने का मजबूत दावेदार माना जा रहा था। लेकिन जब वास्तविक प्रतिस्पर्धा की बात आई तो भारतीय खिलाड़ियों में आवश्यक गति की कमी नजर आई। निशांत को अपवाद माना जा सकता है क्योंकि क्वार्टर फाइनल में विवादास्पद परिणाम के कारण वह पदक से वंचित हो गए। जहां तक जरीन और लवलीना का सवाल है तो वह अपनी मजबूत प्रतिद्वंदियों के सामने संघर्ष करती हुई नजर आई।
अमित पंघाल ने निराश किया
अमित पंघाल (51 किग्रा) अपनी पिछली फॉर्म को दिखाने में नाकाम रहे। लवलीना, पंघाल और निशांत को पदक सुरक्षित करने के लिए सिर्फ 2 जीत की जरूरत थी। लवलीना और जरीन को हालांकि मुश्किल ड्रॉ मिला था लेकिन वह दोनों मौजूदा विश्व चैम्पियन हैं और ऐसे में उनसे इस तरह की चुनौतियों से पार पाने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन इन दोनों मुक्केबाजों ने चीन की अपनी प्रतिद्वंदियों के सामने आसानी से घुटने टेक दिए। जरीन को स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा था लेकिन वह दूसरे दौर में ही वू यू से हार गईं। लवलीना को चीन की अपनी चिर प्रतिद्वंद्वी ली कियान से हार का सामना करना पड़ा। इन दोनों मुक्केबाजों के बीच अभी तक खेले गए 4 मुकाबलों में से 3 में चीन की खिलाड़ी ने जीत दर्ज की है।
महिला बॉक्सर भी हारीं
पुरुष वर्ग में पंघाल जाम्बिया के पैट्रिक चिनेम्बा के खिलाफ अपने तेज और आक्रामक खेल का प्रदर्शन नहीं कर पाए। जांबिया का मुक्केबाज भी दूसरे दौर से आगे नहीं बढ़ पाया। जैस्मीन लेम्बोरिया (57 किग्रा) पिछले ओलिम्पिक खेलों की रजत पदक विजेता नेस्टी पेटेसियो से हार गईं। प्रीति पवार (54 किग्रा) ने मौजूदा विश्व रजत पदक विजेता येनी मार्सेला एरियास को कड़ी चुनौती दी लेकिन आखिर में अनुभव की कमी उनके आड़े आई और उन्हें हार का सामना करना पड़ा।