नई दिल्ली : मनोविज्ञान की छात्रा होने के नाते प्रतिका रावल को थोड़ी समझ है कि मानव मस्तिष्क किस तरह काम करता है और उनकी अंतरात्मा से उन्हें महसूस हुआ कि विश्व कप नॉकआउट में उनकी जगह लेने वाली शेफाली वर्मा फाइनल में कुछ खास करेगी। हालांकि प्रतिका टखने और घुटने की चोट के कारण अपने करियर के सबसे अहम दो मैच में खेलने से चूक गईं लेकिन उनका शेफाली के बारे में अंदाजा बिलकुल सही रहा।
प्रतिका ने कहा, ‘शेफाली को प्रेरणा की जरूरत नहीं है। फाइनल से पहले वह मेरे पास आई और बोली, ‘मुझे सच में अफसोस है कि तुम नहीं खेल सकती' और मैंने उससे कहा कि कोई बात नहीं, ऐसी चीजें होती रहती हैं। मुझे लग रहा था कि वह उस दिन कुछ खास करेगी।' प्रतिका ने टूर्नामेंट में 308 रन बनाए जिससे वह लौरा वोल्वार्ट (571), स्मृति मंधाना (434) और एशले गार्डनर (328) के बाद चौथे स्थान पर रहीं। लेकिन भारत के बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी ग्रुप लीग मैच में चोटिल हो गई।
उन्होंने कहा, ‘मुझे यह नहीं कहना चाहिए कि मैं अभी मनोवैज्ञानिक हूं क्योंकि मैंने अपनी मास्टर डिग्री पूरी नहीं की है। लेकिन मनोविज्ञान का अध्ययन करने वाली एक छात्रा के तौर पर मुझे मानवीय भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली जिसमें मेरी अपनी भावनाएं भी शामिल हैं।' प्रतिका ने कहा, ‘पहली बात कि जो हो गया उसे स्वीकार करें। आप उसे वापस नहीं ला सकते। एक बार जब मैंने चोट को स्वीकार कर लिया तो मैंने केवल उन चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जिन पर मैं नियंत्रण कर सकती थी और वो था चोट से उबरना, नींद लेना, पोषण और टीम का समर्थन करते रहना।'
उन्होंने कहा, ‘मुझे चोट लगने से निराशा जरूर हुई लेकिन मैं इससे हताश नहीं हुई। मेरे पिताजी हमेशा मेरे साथ थे, मेरे कोच मेरा हालचाल पूछते रहते थे, मेरी मां और भाई के रोज फोन करते थे। मेरे पास एक बहुत अच्छा ‘सपोर्ट सिस्टम' है। उन्होंने मुझे निराश या अकेला महसूस नहीं होने दिया।'
उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले रविवार को जब उनकी साथी खिलाड़ी मैदान पर उन्हें (व्हीलचेयर पर) जश्न मनाने के लिए ले गईं तब उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था। उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बात को स्वीकार करने में बहुत समय लगेगा कि हमने विश्व कप जीत लिया है।' इस युवा बल्लेबाज ने जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान के हल्के-फुल्के पलों को साझा करते हुए कहा, ‘उन्होंने मुझे भेल खाने की पेशकश की क्योंकि मैं व्हीलचेयर पर थी। मैंने सोचा, ‘यह अब तक की सबसे महंगी भेल है!'