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स्पोर्ट्स डेस्क : पूर्व भारतीय क्रिकेटर गुंडप्पा विश्वनाथ का आज 70वां जन्मदिन (12 फरवरी 1949) है। 1970-80 के दशक में खेलने वाले इस क्रिकेटर की गिनती भारत के महान कप्तानों में होती है। मैसूर के भद्रावती में जन्मे विश्वनाथ सुनील गावस्कर की छोटी बहन को पहली नजर में ही दिल दे बैठे थे। विश्वनाथ ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला (15 नवम्बर 1969) और 30 जनवरी 1983 को पाकिस्तान के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला था। वहीं, वनडे इंटरनेशन में इंग्लैंड के साथ उन्होंने पहला (3 अप्रैल 1974) और आखिरी (2 जून 1982) मैच खेला था। आइए गुंडप्पा विश्वनाथ के जन्मदिन पर उनके बारे में कुछ खास बातें जानते हैं - 

ऐसा करने वाले तीन खिलाड़ियों में से एक 

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विश्वनाथ उन 3 खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने पहले फर्स्ट क्लास और टेस्ट मैच में सेंचुरी लगाई थी। विश्वनाथ ने टेस्ट में 13 से ज्यादा सेंचुरी लगाई और जब भी वह सेंचुरी लगाते थे तब-तब टीम इंडिया मैच जीत जाती थी। वह मुश्किल पिचों पर भी बेहतरीन प्रदर्शन करते थे लेकिन अपनी शानदार पारियों के दौरान अभी सेंचुरी नहीं लगा पाए। 

गावस्कर की छोटी बहन से हुआ था पहली नजर वाला प्यार 

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सुनील गावस्कर और गुंडप्पा विश्वनाथ एक दूसरे को अच्छे से जानते थे और दोनों के घर आना जाना लगा रहता था। इसी दौरान उनकी मुलाकात गावस्कर की छोटी बहन कविता हुई पहली नजर में ही कविता को दिल दे बैठे और इसी से शादी करने की ठानी। इसके बाद विश्वनाथ ने कविता के 18 बरस के होने का इंतजार किया और कविता और उसके परिवार वालों की इच्छा से दोनों ने शादी भी की। 

रह चुके हैं रेफरी और मुख्य चयनकर्ता 

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आजकल विश्वनाथ लाइमलाइट से दूर अपने बेंगलुरु स्थित घर में परिवार के साथ रहते हैं। लेकिन क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद उन्होंने आईसीसी के मैच रेफरी के रूप में भी अपनी भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं इसी के साथ ही विश्वनाथ टीम इंडिया के मुख्य चयनकर्ता रह चुके हैं और टीम मैनेजर की भूमिका भी संभाल चुके हैं। 

इसलिए कहा जाता था विशी

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विश्वनाथ अधिक बल लगाने के बजाए टाइमिंग पर ध्यान देते थे। उनका पसंदीदा शाॅट स्क्वायर कट था और इस शाॅट का इस्तेमाल वह तेज गेंदबाजों के खिलाफ करते थे। लेकिन अपने आकर्षक बल्लेबाजी स्टाइल के कारण विश्वनाथ विशी के नाम से मशहूर थे। 

अवार्ड्स

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विश्वनाथ को साल 1977-78 में अर्जुना अवाॅर्ड मिला था।
इसके अलावा साल 2009 में बीसीसीआई ने उन्हें सी के नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट से सन्मानित किया था जो भारतीय क्रिकेट में सबसे उच्च अवार्ड है।