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नई दिल्ली : अर्जुन पुरस्कार के लिए नामित होने वाले भारत के शीर्ष रैली (मोटरस्पोर्ट्स) चालक गौरव गिल का मानना है कि इस पुरस्कार से भले ही उनके प्रदर्शन में ज्यादा सुधार नहीं आये लेकिन ‘सरकारी मुहर' लगने से देश में इस खेल से जुड़ने वालों को पहचान मिलेगी। 37 साल के गिल को पिछले तीन साल से इस पुरस्कार के लिए नजरअंदाज किया जा रहा था। इससे पहले 2018 में भी चयन समिति इस बात पर सहमत थी कि तीन बार के एशिया पैशेफिक रैली चैम्पियन पुरस्कार के हकदार है लेकिन राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के कारण वह सूची में जगह नहीं बना सकें।

गिल ने कहा, ‘जाहिर है, अर्जुन पुरस्कार मिलने से यह पता चलता है कि आप देश के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में है। इसका यह भी मतलब हुआ कि आप सरकार द्वारा प्रमाणित एथलीट हैं और यह हमारे खेल के लिए बड़ी उपलब्धि है।' मोटरस्पोर्ट्स को धनी लोगों का खेल माना जाता है ऐसे में भारत के पहले फर्मूला वन चालक नारायण कार्तिकेयन को भी अर्जुन पुरस्कारों के लिए नहीं चुना गया था जबकि 2010 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। गिल को उम्मीद है कि इस पुरस्कार के लिए नामित होने के बाद दूसरों के लिए मौका बनेगा।

दिल्ली के इस चालक ने कहा, ‘यह पूरी विरादरी (मोटरस्पोर्ट्स) बाधाओं को तोड़ने जैसा है। अब लोग सिर्फ शौक ही नहीं, इसे एक कैरियर विकल्प के रूप में भी लेंगे।' उन्होंने इस खेल की गोल्फ और निशानेबाजी से तुलना करते हुए कहा कि उनका अर्जुन उनके खेल को जनता तक पहुंचाने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, ‘हमारा अगला कदम उन्हें (आम लोगों) खेल के बारे में शिक्षित और यह सुनिश्चित करना है कि हमारे पास अधिक अर्जुन पुरस्कार विजेता हो। हम भी उपकरण का उपयोग करते हैं, मैं चाहूंगा कि निशानेबाजों की तरह हमारे मामले में भी करों और आयात शुल्क को खत्म किया जाए।' उन्होंने कहा, ‘हम उसका उपयोग बिक्री के लिए नहीं कर रहे हैं, हम इसे खेल के लिए उपयोग कर रहे हैं और हमें इसके लिए करों का भुगतान नहीं करना चाहिए। अब इतनी संख्या में निशानेबाज निकल कर आ रहे है, हमें उससे सीखना चाहिए। गोल्फ और निशानेबाजी को भी महंगा खेल माना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं है।'