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साओ पाउलो : उनके पैरों का जादू जब चलता था तो दुनिया मानों थम जाती थी और फुटबॉल को खूबसूरती देकर महानता के नये मानदंड कायम किये थे पेले ने। कई पीढ़ियों पर अमिट छाप छोड़ने वाले खिलाड़ी बिरले ही होते हैं और फुटबॉल के जादूगर पेले के निधन के साथ मानों एक युग का अंत हो गया। पहली बार 1958 में सत्रह बरस की उम्र में वह ब्राजील की विश्व कप जीत के सूत्रधार रहे। 

उनके खेल में लगातार निखार आता गया और सत्तर के दशक में खेल को अलविदा कहने से पहले उन्होंने ऐसे मानदंड कायम कर दिये थे कि ब्राजील ही नहीं बल्कि दुनिया के हर फुटबॉलर को उस कसौटी पर कसा जाता है। ब्राजील में गारिंचा से लेकर दिदि तक, जिको से लेकर रोमारियो तक और रोनाल्डो से लेकर नेमार तक कई सुपरस्टार फुटबॉलर हुए लेकिन पेले जैसा कोई दूसरा नहीं हुआ। तीन विश्व कप जीतने वाले इकलौते खिलाड़ी पेले ने ब्राजील के लिए 95 गोल किए। उनके बाद नेमार का नंबर है जो 75 गोल कर चुके हैं जबकि रोनाल्डो ने 62 गोल किए हैं। 

पेले ने ब्राजील के लिये 114 मैच खेले जिनमें से 92 पूर्ण अंतरराष्ट्रीय मैच थे। उन्होंने विश्व कप में 14 मैच खेलकर 12 गोल किए। फुटबॉल के महानतम खिलाड़ियों में शुमार पेले पहले सांतोस क्लब के लिये और फिर ब्राजील की राष्ट्रीय टीम के लिए अपने खेल से विश्व फुटबॉल पर अपनी अमिट छाप छोड़ गए। उनकी कलात्मकता, हुनर और पैरों की जादूगरी के विरोधी भी मुरीद थे। उनके खेल में ब्राजील की सांबा शैली झलकती थी। 

ब्राजील को फुटबॉल की महाशक्ति बनाने वाले पेले के कैरियर की शुरूआत साओ पाउलो की सड़कों पर हुई जहां वह अखबारों के गट्ठर या रद्दी के ढेर का गोला बनाकर फुटबॉल खेला करते थे। फुटबॉल के महानतम खिलाड़ियों का जिक्र होता है तो पेले के साथ सिर्फ डिएगो माराडोना और अब लियोनेल मेस्सी का नाम लिया जाता है। पेले ने लीग मैचों में करीब 650 और सीनियर मैचों में 1281 गोल किए। 

‘द किंग' कहे जाने वाले पेले ने सबसे पहले 1958 में स्वीडन में 17 वर्ष की उम्र में विश्व कप में अपना लोहा मनवाया। वह उस टूर्नामेंट के सबसे युवा खिलाड़ी थे। फाइनल में मेजबान के खिलाफ 5-2 से मिली जीत में दो गोल करने वाले पेले को उनके साथी खिलाड़ियों ने कंधे पर उठा लिया था। फिर चार साल बाद चोट के कारण वह दो ही मैच खेल सके लेकिन ब्राजील ने खिताब बरकरार रखा। मेक्सिको में 1970 में हुए विश्व कप में इटली पर मिली जीत में पेले ने फाइनल में एक गोल किया और कार्लोस अलबर्टो के गोल के सूत्रधार रहे। 

पेले की ख्याति ऐसी थी कि 1967 में नाइजीरिया में गृहयुद्ध के दौरान कुछ समय युद्धविराम कर दिया गया ताकि वह लागोस में नुमाइशी मैच खेल सके। 23 अक्टूबर 1940 में जन्मे पेले ने फुटबॉल किट खरीदने के लिए जूते भी पॉलिश किए। वह 11 वर्ष की उम्र में सांतोस की युवा टीम का हिस्सा बने और जल्दी ही सीनियर टीम के लिए चुन लिए गए। उन्होंने ब्राजील के लिये 114 मैचों में 95 गोल किए। 

जब यूरोपीय क्लबों में उन्हें खरीदने के लिए होड़ मची थी तो ब्राजील सरकार को इसे रोकने के लिए दखल देना पड़ा और उन्हें राष्ट्रीय संपदा घोषित किया। उन्होंने करियर का आखिरी मैच 1971 में पूर्व यूगोस्लाविया के खिलाफ खेला जो 2-2 से ड्रॉ रहा। मैदान से विदा होते समय वह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके। स्टेडियम में ‘थैंक्यू' का संदेश बज रहा था और बड़े से बैनर पर लिखा था, ‘लांग लिव द किंग।' ब्राजील की पीली दस नंबर की जर्सी में पेले की छवि फुटबॉल के चाहने वालों की यादों में हमेशा चस्पा रहेगी।