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नई दिल्लीः शीर्ष वरीयता प्राप्त रोहन बोपन्ना और दिविज शरण ने एशियाई खेलों की पुरूष युगल टेनिस स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत लिया। बोपन्ना और शरण ने कजाखस्तान के अलेक्जेंदर बबलिक और डेनिस येवसेयेव को 52 मिनट में 6.3, 6.4 से हराया। 

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मैच में 20 मिनट के भीतर भारतीय टीम ने 4.1 से बढत बना ली थी। इसके बाद बढत 5.3 की हो गई और बोपन्ना की र्सिवस पर भारत ने पहला सेट जीता। कजाख खिलाडिय़ों ने कई गलतियां की। दूसरी ओर बोपन्ना और शरण के बीच गजब का तालमेल देखने को मिला। बोपन्ना ने बेसलाइन से शानदार खेल दिखाया और अच्छे विनर लगाए। दूसरे सेट में कजाख टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन सहज गलतियों पर काबू नहीं पा सके। उन्होंने पांचवें गेम में डबल फाल्ट भी किया जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा। 
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कजाख टीम के पास रफ्तार थी तो भारतीयों के पास अनुभव। एक समय स्कोर 3.3 था लेकिन बोपन्ना और शरण ने 5.3 की बढत बना ली। इसके बाद भारतीयों ने शानदार प्रदर्शन बरकरार रखते हुए सेट और मैच जीत लिया। मौजूदा खेलों में टेनिस में यह भारत का पहला स्वर्ण है। इससे पहले सोमदेव देववर्मन और सनम सिंह ने 2010 में ग्वांग्झू में पीला तमगा जीता था। 

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महेश भूपति और लिएंडर पेस ने 2002 और 2006 खेलों में स्वर्ण अपने नाम किया था। पेस ने इस बार अपना पसंदीदा जोड़ीदार नहीं मिलने के कारण ऐन मौके पर खेलों से नाम वापिस ले लिया था। साकेत माइनेनी और सनम ने 2014 में रजत पदक जीता था।  

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मैच समाप्ति के बाद बोपन्ना ने कहा- एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतना बहुत अच्छा अहसास है। हमें खुशी है कि हमने चार वर्ष बाद फिर से अपना खिताब हासिल कर लिया है। हमने एक टीम के तौर पर अच्छा प्रदर्शन किया और इसी से हमें सफलता मिली। उन्होंने कहा- कजाखिस्तान की टीम ने अच्छा खेल दिखाया और हमें चुनौती दी। लेकिन हमें पता था कि हम विपक्षी टीम को नियंत्रित कर सकते हैं। हमने योजना से खेला और खिताब वापिस जीता। पुरूष एकल में अब निगाहें प्रजनेश गुणेश्वरन पर लगी हैं जो सेमीफाइनल मैच में उज्बेकिस्तान के अनुभवी डेनिस इस्तोमिन के खिलाफ उतरेंगे।