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नई दिल्ली : उनके दादा ने हॉकी खेली, पिता और उनके तीनों भाइयों ने भी हॉकी खेली लेकिन कोई भारतीय टीम में जगह नहीं बना सके और अब इस खानदान में हॉकी खेलने वाले अकेले खिलाड़ी अराइजीत सिंह हुंडल पेरिस ओलंपिक के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह बनाकर सबका अधूरा सपना पूरा करना चाहते हैं। अराइजीत ने इंटरव्यू में कहा, ‘अगर मैं पेरिस ओलंपिक टीम में जगह बना पाता हूं तो हमारे घर पर त्योहार जैसा माहौल होगा। सबके चेहरे पर ऐसी खुशी होगी जो मैंने भी कभी नहीं देखी होगी। मैं भी वैसी खुशी देखना चाहता हूं और अपनी ओर से जान लड़ा दूंगा।' 

ओलंपिक तैयारियों के सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले भुवनेश्वर में चल रहे राष्ट्रीय शिविर में शामिल ड्रैग फ्लिकर और स्ट्राइकर हुंडल ने इस साल दक्षिण अफ्रीका दौरे पर सीनियर टीम में पदार्पण किया। 20 साल के हुंडल ने दिसंबर में कुआलालम्पुर में खेले गए जूनियर विश्व कप में कोरिया के खिलाफ एक हैट्रिक समेत भारत के लिये सर्वाधिक चार गोल किए थे। 

उन्होंने कहा, ‘पूरे परिवार का सपना है कि मैं ओलंपिक खेलूं। दादाजी हॉकी खेलते थे। पापा के तीन भाई थे और सभी राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेले हैं। सभी को हॉकी के आधार पर ही नौकरी मिली लेकिन भारतीय टीम में कोई जगह नहीं बना सका।' उन्होंने कहा, ‘मेरे पापा 1999 में राष्ट्रीय शिविर में थे लेकिन पारिवारिक कारणों से उन्हें बीच में शिविर छोड़कर जाना पड़ा। आखिरी अब मैं ही रह गया हूं क्योंकि मेरे अलावा अब परिवार में कोई नहीं खेलता। लेकिन मुझे यकीन है कि मैं उनके सपने पूरे करूंगा।' 

एलपीयू से बीए कर रहे अराइजीत ने सीनियर स्तर पर खेलने के बारे में कहा, ‘जूनियर से बिल्कुल अलग है सीनियर हॉकी। मैने तीन चार साल जूनियर हॉकी खेली और दो विश्व कप भी खेल चुका हूं। पिछले विश्व कप में मेरे प्रदर्शन को देखकर ही सीनियर टीम में चयन हुआ।' उन्होंने कहा, ‘मुझे दक्षिण अफ्रीका में पदार्पण का मौका मिला और फिर भारत में एफआईएच प्रो लीग में नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ मौका दिया। यह हमारी खुशकिस्मती है कि हमें सीनियर करियर की शुरूआत में ही ओलंपिक की तैयारी के लिए लगाए गए शिविर में जगह मिली है।' 

राउरकेला में नीदरलैंड के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट में गोल करने वाले हुंडल ने कहा कि उन्होंने दबाव के बारे में सोचे बिना अपना स्वाभाविक खेल दिखाया। हुंडल ने कहा, ‘मैदान में काफी दर्शक थे और मैने सोचा नहीं था कि मौका मिलेगा। लेकिन जब मिला तो मैने सोचा कि यही मौका है जब कुछ कर दिखाना है और यह गंवा दिया तो पछतावे के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। मुझे सीनियर खिलाड़ियों ने भी समझाया कि दबाव में नहीं आना है और स्वाभाविक खेल दिखाना है।' 

उन्होंने कहा कि टीम में जूनियर और सीनियर खिलाड़ियों का तालमेल जबर्दस्त है जिससे काफी मदद मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘बांडिंग बहुत अच्छी है जूनियर और सीनियर खिलाड़ियों की। कोई भी सवाल होते हैं या नर्वस होते हैं तो बेहिचक उनके पास जाकर पूछते हैं। मैदान पर गलती होने पर डांटते भी हैं और अच्छा खेलने पर हौसलाअफजाई भी करते हैं।' टीम में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के बारे में उन्होंने कहा, ‘यह अच्छी बात है कि जूनियर खिलाड़ी सीनियर को अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रेरित कर रहे हैं और सीनियर्स को देखकर जूनियर अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं। यह स्वस्थ प्रतिस्पर्धा टीम के लिए जरूरी भी है। अगर हम एक दूसरे को पुश नहीं करेंगे तो टीम का प्रदर्शन ग्राफ ऊपर कैसे जाएगा।' 

आम तौर पर ड्रैग फ्लिकर डिफेंडर होते हैं लेकिन वह लीक से हटकर स्ट्राइकर होते हुए ड्रैग फ्लिक कैसे करने लगे। यह पूछने पर उन्होंने कहा, ‘मैं बचपन से स्ट्राइकर ही रहा हूं लेकिन एक बार ड्रैग मारने का ट्राय किया तो मुझे बहुत मजा आया। इसके बाद ड्रैग फ्लिक पर फोकस किया और धीरे धीरे सीखता गया।' उन्होंने कहा, ‘हमारे कप्तान हरमनप्रीत मेरे फेवरिट है। उनकी शैली तो कॉपी नहीं करता लेकिन तकनीकी तौर पर बहुत कुछ सीखता हूं उनसे।' 

हॉकी के अलावा क्रिकेट के शौकीन हुंडल के पसंदीदा खिलाड़ी विराट कोहली है जिनसे उन्हें काफी कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने कहा, ‘मेरे फेवरिट क्रिकेटर विराट कोहली है क्योंकि उनके तेवर, आक्रामकता और आत्मविश्वास प्रेरित करने वाले हैं। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनके इंटरव्यू देखता हूं कि मैच में कैसे खेलते हैं और विरोधी खिलाड़ियों को कैसे जवाब देते हैं।'