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फीडे इंस्ट्रक्टर निकलेश जैन 

आखिर क्यूँ खेले शतरंज !! 

शतरंज का  खेल आपके बच्चे के अंदर ना सिर्फ निर्णय लेने की क्षमता का विकास करता है बल्कि उसके सम्पूर्ण मानसिक विकास जैसे आत्मविस्वास ,याददाश्त ,एकाग्रता और रचनात्मकता जैसे गुणो का विकास  करता है और यही कारण है की शतरंज खेलने वाले बच्चे पढ़ाई में तो अच्छा करते ही है उनकी समझ उनके हमउम्र बच्चो में भी बेहतर होती है ।

। पाँच बार के पूर्व विश्व विजेता भारत के महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद हमेशा से भारत के हर स्कूल में इस खेल को सिखाये जाने का समर्थन करते रहे है ।

शतरंज के बच्चो को पढ़ाई मे मिलने वाली मदद के चलते भारत में जन्में  खेल को दुनिया के बहुत सारे देशो नें किसी विषय की तरह अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है . भारत में भी तामिलनाडु ,महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों नें शतरंज को अपने स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया है । 

। दरअसल दोस्तो हमने सोचा की हम दुनिया भर के दिग्गज खिलाड़ियों और उनके खेल को कवर तो कर ही रहे है और शतरंज के शौकीन लोगो तक पहुंचा भी रहे है पर हर वर्ष भारत में लाखो की तादाद में बच्चे शतरंज खेलना सीख रहे है तो क्यूँ ना उन्हे शतरंज के बारे में सटीक और सही जानकारी दी जाये ! हम बात करेंगे शतरंज खेल से होने वाले फ़ायदों के बारे में और जानेंगे इससे जुड़ी कुछ प्रसिद्ध कहानियों के बारे में !

पंजाब केसरी  समूह के युवा निर्देशक नें पंजाब को ड्रग्स से बचाने के लिए शतरंज खेल को माध्यम के रूप मे चुना है  वह मानते है की शतरंज की एकाग्रता के जरिये वह युवाओं को नशे का आदि बनने से रोक सकते है ।

 

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तो सबसे पहले बात करते है इस खेल की शुरुआत के बारे में दोस्तो आपको बता दे की पूरी दुनिया यह मानती है की शतरंज खेल का जन्म भारत में हुआ और विश्व शतरंज संघ भी अधिकृत तौर पर यही मानता है इस खेल की उत्पत्ति भारत में हुई । कई लोगो कहते है की रामायण काल में इसकी शुरुआत हुई तो कई ये मानते है की  शतरंज का जन्म भारत में चन्द्रगुप्त वंश के शासन के दौरान करीब (c. 280 - 550 CE) हुआ ऐसा प्रमाण मिलता है । शतरंज को चतुरंग शब्द से जाना जाता था जिसका मतलब एक प्रकार की चतुरंगनी सेना से था जिसका उल्लेख  भारत के रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथो मे मिलता है । फारसी इसे भारत से अपने देश ले गए और वंही से ये यूरोप और अरब देशो में पहुँच गया । मुस्लिम इसे उत्तरी अमेरिका और स्पेन की और ले गए । लगभग 10वी शताब्दी के आस पास शतरंज अपने नए रूप में आना शुरू कर चुका था ।

शतरंज खेल से सबंधित कहानियों में दो कहानियाँ काफी प्रचलित है जिसे आप इन विडियो में देख सकते है ( विडियो चेसबेस इंडिया के सौजन्य से

कैसे सीखे शतरंज ? 

पंजाब केसरी के शतरंज विशेषज्ञ फीडे इंस्ट्रक्टर निकलेश जैन आप इस विडियो में खेल की शुरुआत के सभी पहलुओं को समझाते नजर आएंगे ( विडियो चेसबेस इंडिया के सौजन्य से )