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नई दिल्लीः इक्कीस वर्षीय स्वप्ना बर्मन ने दांत दर्द के बावजूद जकार्ता में जारी 18वें एशियाई खेलों की हेप्टाथलन में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा। इसी के साथ वह पहली भारतीय महिला बन गई हैं जिन्होंने इस स्पर्धा में गोल्ड जीता। सात स्पर्धाओं में कुल 6026 अंक बनाने वाली स्वप्ना की राह इतनी आसान नहीं रही। बता दें कि उनके पिता पंचन बर्मन रिक्शा चालक हैं और मां बशोना चाय के पत्ते तोड़कर घर का गुजारा करती हैं।

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अपनी बेटी के संधर्ष के बारे में बातचीत करते हुए मां ने बताया कि, ''मेरी बेटी के लिए यह आसान नहीं था। हम उसकी जरूरतें ना पूरी कर पाते थे, लेकिन उसने कभी हमसे शिकायत नहीं की।'' स्वप्ना के पुराने कोच सुकांत सिन्हा ने कहा, ''मैंने 2006 से 2013 तक उसे ट्रेन किया। वह काफी गरीब परिवार से है। ट्रेनिंग का खर्च उठाना उसके लिए मुश्किल रहा। वह चौथी कक्षा में थी, तब मैंने उसकी प्रतिभा देखी, जिसके बाद उसे ट्रेनिंग देना शुरू किया। राइकोट पारा स्पोर्टिंग एसोसिएशन क्लब में हमने उसे हर तरह से मदद की।''
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आपको बता दें कि स्वप्ना के आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि एक समय ऐसा भी था जब उन्हें जूते लेने के लिए संघर्ष करना पड़ा था। इसका कारण यह है कि उनके दोनों पैरों में छह-छह उंगलियां हैं। चौड़े पैर खेलों में उसकी लैंडिंग भी कठिन बना देती है। ऐसे में उनके जूते जल्दी फट जाते हैं। स्वप्ना की मां ने कहा, ''मैंने उसका प्रदर्शन नहीं देखा। दिन के दो बजे से प्रार्थना कर रही थी। मैं काली मां को बहुत मानती हूं। मुझे जब उसके जीतने की खबर मिली तो मैं अपने आंसू रोक नहीं पाई।''

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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने स्वप्ना को बधाई दी है। ट्वीट में सीएम ने कहा, ''हमारे बंगाल की हेप्टाथलान क्वीन स्वप्ना बर्मन को एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने पर बहुत बधाई।''