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मुंबई : महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने 15 साल लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान कई बड़ी उपलब्धियां अपने नाम कीं। वह टीम इंडिया (Team india) को तीनों आईसीसी ट्रॉफीज दिलवाने वाले पहले कप्तान हैं। ऐसे में उनकी सफलता के पीछे कई कहानियां हैं, जो अभी अनसुही है। ऐसी ही एक कहानी भारत के पूर्व क्रिकेटर सैयद सबा करीम (Saba Karim) लेकर आए हैं। करीम ने बताया कि कैसे वह रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) में बिहार के लिए चयनकर्ता बनने के बाद पहली बार धोनी से मिले और उनके कौशल से परिचित हुए।

 

 

सबा करीम कहा कि पहली बार जब मैंने एमएस धोनी को देखा तो यह रणजी ट्रॉफी में उनका दूसरा वर्ष था। वह बिहार के लिए खेलते थे। मुझे अब भी याद है कि जब वह बल्लेबाजी कर रहे थे, तो स्पिनर और तेज गेंदबाज को कैसे बड़े ऊंचे शॉट लगाते थे। विकेटकीपिंग के लिए जो फुटवर्क होना चाहिए उसमें थोड़ी कमी थी। एमएस धोनी की महानता इसी में है कि उन्हें जो सिखाया गया था वह आज भी याद है।

 

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करीम ने याद किया कि हम अक्सर बातचीत किया करते थे। धोनी के करियर में तब महत्वपूर्ण मोड़ आया जब हमने उसे वनडे मैचों में ओपनिंग पर भेजना शुरू किया। उसकी बल्लेबाजी बहुत मजबूत थी और वह तेजी से रन बनाते थे। धोनी ने पहली बार इंडिया ए में खेलकर चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा था। दूसरा निर्णायक मोड़ केन्या में भारत 'ए', पाकिस्तान 'ए' और केन्या के बीच त्रिकोणीय श्रृंखला थी। एमएस धोनी को खेलने का मौका इसलिए मिला क्योंकि दिनेश कार्तिक राष्ट्रीय टीम में शामिल हो रहे थे। वहां एमएस ने अच्छी विकेटकीपिंग की और बैटिंग की तो पूछो ही मत! हमने पाक 'ए' के ​खिलाफ दो बार खेला और उन्होंने श्रृंखला में बहुत अच्छी बल्लेबाजी की।

 

उन्होंने आगे कहा कि वहां से यह उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ था और उसके बाद उनका नाम चर्चा में था। मुझे यह भी याद है कि मैं उस समय कलकत्ता में था और सौरव (गांगुली) कप्तान थे। मैं उनसे मिलने गया और मैंने उनसे कहा कि एक ऐसा कीपर है जिसे भारतीय टीम में आना चाहिए क्योंकि वह बहुत अच्छी बल्लेबाजी कर रहा था। दुर्भाग्य से, हमारे पाकिस्तान दौरे से ठीक पहले सौरव ने एमएस को खेलते नहीं देखा था और उन्हें उस दौरे के लिए नहीं चुना गया था।