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कानपुर : अजिंक्य रहाणे को अपनी खराब फॉर्म से संबंधित सवाल पूछना अच्छा नहीं लगा जिस पर उन्होंने कहा कि उनकी फॉर्म के बारे में चिंताएं आधारहीन हैं और योगदान का मतलब प्रत्येक मैच में टेस्ट शतक जमाना नहीं है। रहाणे ने इस साल में 11 टेस्ट मैचों में 19 के औसत से रन बनाये हैं। उन पर यह दबाव दिखाई दिया और उन्होंने कहा कि एक विशेषज्ञ शीर्ष क्रम के बल्लेबाज द्वारा बनाए गए ‘30, 40 या 50 रन' भी स्वीकार्य योगदान होगा, बशर्ते टीम जीत जाए।

न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट से पहले रहाणे ने कहा कि अपनी फॉर्म के बारे में चिंतित नहीं हूं। मेरा काम अपनी टीम के जितना संभव हो सके, उतना योगदान करना है। योगदान का मतलब यह नहीं है कि आपको प्रत्येक मैच में 100 रन बनाने की जरूरत है। प्रति पारी 30, 40, 50 रन का स्कोर भी महत्वपूर्ण योगदान हैं। रहाणे स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन वह जानते हैं कि जहां तक दक्षिण अफ्रीका दौरे की श्रृंखला के लिए चयन का संबंध है तो कानपुर और मुंबई (दूसरा टेस्ट) में खराब स्कोर से वह मुश्किल स्थिति में पहुंच सकते हैं।

भविष्य के बारे में उनके विचार थे कि ‘जो होगा सो होगा'। उन्होंने कहा कि भविष्य में क्या होना वाला है, मैं उसे लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हूं। भविष्य में जो होना होगा, वो होगा ही और मुझे वर्तमान में बने रहने की जरूरत है ताकि मैं इस समय अपना सर्वश्रेष्ठ दूं। यह पूछने पर कि क्या यह संभव है कि बल्लेबाज और कप्तान को अलग अलग करके देखा जाए।जब मैं बल्लेबाजी कर रहा होता हूं तो मेरा ध्यान सिर्फ बल्लेबाजी पर होता है और मैं उसी क्षण में होता हूं। यह इतना ही सरल है। जब मैं क्षेत्ररक्षण कर रहा होता हूं तो मैं सोच रहा होता हूं कि हमारी योजनायें किस तरह की हैं और रणनीति कैसी है।

कप्तान ने कहा कि नए कोच राहुल द्रविड़ ने उन्हें कोई विशेष गुर नहीं दिये हैं बल्कि उन्हें चीजों को सरल रखने को कहा है क्योंकि वे काफी अनुभवी हैं। रहाणे ने कहा कि राहुल भाई ने हमें अपने मजबूत पक्षों का समर्थन करने और चीजें सरल रखने को कहा है। ज्यादा चिंता मत करो, मुझे और पुजारा को कहा कि हम अपनी योजना जानते हैं और हम काफी वर्षों से खेल रहे हैं। इसलिए चीजें सरल रखना और खुद का समर्थन करते रहना अहम है। हम ज्यादा चिंतित नहीं हैं।

यही बात टीम के उप कप्तान ने मंगलवार को कही थी। आमतौर पर भारतीय कप्तान ऐसा नहीं कहते लेकिन रहाणे ने स्वीकार किया कि भारतीय बल्लेबाजों को भी स्पिनरों के मुफीद पिचों पर मुश्किल होगी, हालांकि वह ग्रीन पार्क की पिच को देखकर खुश दिख रहे थे। यहां इस बात का भी जिक्र किया जाना चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय पिचों पर रहाणे को भी स्पिनरों के खिलाफ जूझना पड़ा है और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अयाज पटेल की स्पिन के खिलाफ कैसा प्रदर्शन करते हैं। 

रहाणे ने कहा कि भारतीय बल्लेबाजों के लिये भी स्पिनरों के लिये मददगार पिचों पर खेलना चुनौतीपूर्ण है। हम इस तरह की विकेटों पर नहीं खेलते। बल्लेबाजों को मैदान पर जाकर इसका फायदा उठाना होगा। अगर हम टेस्ट मैच और श्रृंखला जीतते हैं तो हमें स्पिनरों के मुफीद पिच की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने पिच के बारे में कहा कि यह जैसा भी बर्ताव करेगी, उनकी टीम इसके अनुकूल प्रदर्शन करने की कोशिश करेगी। रहाणे ने कहा कि हां, हम खुश हैं। मैं नहीं जानता कि विकेट किस तरह का व्यवहार करेगा। हमें जो भी विकेट मिलेगा, उसके अनुरूप ढलना होगा। हम इसके लिये तैयार हैं।