मोंटेसिल्वानों ( निकलेश जैन ) विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप का खिताब 17 साल बाद भारत लौटा है , भारत के प्रणव वी नें अंतिम और ग्यारहवें राउंड में स्लोवेनिया के मेटिक लवरेंकिक से ड्रॉ खेलते हुए 9 अंक बनाकर विश्व खिताब अपने नाम कर लिया । प्रणव नें इस दौरान अपराजित रहते हुए 7 मुक़ाबले जीते और चार बाज़ियाँ ड्रॉ खेली । भारत के लिए विश्वनाथन आनंद 1987 , पेंटाला हरीकृष्णा 2004 और अभिजीत गुप्ता 2008 में यह खिताब जीत चुके है । पूरे टूर्नामेंट के दौरान प्रणव नें शानदार खेल दिखाया और शुरुआत से ही उन्होने एक बार बढ़त बनाने के बाद हमेशा खुद को पहले स्थान पर बनाए रखा , प्रणव ने अपराजित रहते हुए 11 में से 9 अंक अर्जित किए और उनका प्रदर्शन रेटिंग 2721 का रहा, जिससे उन्हें 13.3 एलो रेटिंग अंक भी प्राप्त हुए।उनके अंतिम दौर के प्रतिद्वंद्वी माटिक लाव्रेंचिक ने 8.5/11 अंक बनाकर रजत पदक जीता। वहीं, नॉर्वे के जीएम एल्हाम अमर ने 8.5/11 अंकों के साथ कांस्य पदक हासिल किया।
बालिका वर्ग में डब्ल्यूआईएम अन्ना शुखमन ने 9/11 अंक अर्जित कर स्वर्ण पदक जीता। अज़रबैजान की डब्ल्यूआईएम अयान अल्लाहवेर्दीयेवा और चीन की आईएम मियाओयी लू ने 8/11 अंकों के साथ क्रमशः रजत और कांस्य पदक अपने नाम किया।
पुरस्कार राशि
प्रतियोगिता का कुल पुरस्कार कोष €10,000 था। ओपन वर्ग में शीर्ष तीन विजेताओं को क्रमशः €3000, €2000 और €1000 के साथ एक-एक ट्रॉफी और पदक प्रदान किया गया। वहीं, बालिका वर्ग में शीर्ष तीन स्थानों के लिए €2000, €1250 और €750 की पुरस्कार राशि तय की गई थी।
प्रणव का पहला क्लासिकल विश्व खिताब
यह क्लासिकल प्रारूप में प्रणव वेंकटेश का पहला विश्व खिताब है। इससे पहले दिसंबर 2024 में उन्होंने स्लोवेनिया में आयोजित विश्व यूथ अंडर-18 ओपन रैपिड और ब्लिट्ज में डबल गोल्ड जीता था। महज तीन महीनों में प्रणव ने विश्व जूनियर ओपन 2025 का क्लासिकल खिताब अपने नाम किया, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।इस जीत के बाद यह लगभग तय है कि प्रणव को आगामी वर्ल्ड कप में खेलने का मौका मिलेगा।