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नई दिल्ली : विश्व के नंबर एक पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने प्रतिष्ठित मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार के लिए सिफारिश किए जाने के बाद कहा कि वह अपनी पिछली उपलब्धियों से संतुष्ट होकर आराम नहीं करेंगे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक सफलता के लिए कड़ी मेहनत करना जारी रखेंगे। यह 33 साल के खिलाड़ी उन 11 खिलाड़ियों में शामिल है जिसके नाम की सिफारिश खेल रत्न पुरस्कारों के लिए की गई है। भगत ने टोक्यो पैरालंपिक के एसएल तीन वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था।

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भगत ने कहा कि भारतीय बैडमिंटन के लिए पैरालंपिक में पहला स्वर्ण पदक जीतने के बाद यह (खेल रत्न की सिफारिश) सोने पर सुहागा की तरह है।  यह पुरस्कार मुझे केवल काम करने और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा। भगत को 2019 में अर्जुन पुरस्कार मिल चुका है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मेरा करियर अभी शुरू ही हुआ है और मुझे अभी लंबा रास्ता तय करना है और मैं आत्मसंतुष्ट नहीं हूं और अपनी प्रशंसा तथा पुरस्कार के बाद विश्राम करना पसंद नहीं करूंगा।

भगत भारत के सर्वश्रेष्ठ पैरा खिलाडिय़ों में से एक है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 45 से अधिक पदक जीते है जिसमें विश्व चैंपियनशिप के 4 स्वर्ण पदक और 2018 एशियाई पैरा खेलों में एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक शामिल है। उन्होंने अपने परिवार, दोस्तों और पूरे देश को उनकी यात्रा में समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया।

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ओडिशा के इस शटलर ने कहा कि मैं भारतीय खेल प्राधिकरण, टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना और ‘गो स्पोट्र्स फाउंडेशन’ को मेरे समर्थन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। उन्होंने न केवल मुझे बल्कि हर किसी को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया है।

भगत ने 15 नवंबर से युगांडा के कंपाला में शुरू होने वाले युगांडा पैरा बैडमिंटन अंतरराष्ट्रीय ओपन की तैयारी के लिए हाल ही में फिर से प्रशिक्षण शुरू किया है। उन्हें उम्मीद है कि कोविड-19 के कारण अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के बाधित करने के बाद अब और अधिक स्पर्धाओं में भाग लेने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि मेरा लक्ष्य 2024 पैरालंपिक है। मैं वहां अपने स्वर्ण पदक की उपलब्धि को दोहराने के साथ मिश्रित युगल या युगल में एक और पदक जीतना है।