नई दिल्ली : बीसीसीआई के ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ (पूर्व में एनसीए) को उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जब भारत के उभरते तेज गेंदबाज मयंक यादव को पीठ की चोट के कारण इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 के शेष मैचों से बाहर होना पड़ा। लखनऊ सुपर जायंट्स ने घोषणा की कि मयंक की जगह न्यूजीलैंड के विलियम ओ’राउरके शेष टूर्नामेंट के लिए टीम में शामिल होंगे।
मयंक ने छह महीने के ‘रिहैबिलिटेशन’ के बाद वापसी की थी, लेकिन दो मैचों में 8 ओवरों में 100 रन देकर केवल 2 विकेट ले सके। उनकी गेंदबाजी की गति में 15 किमी प्रति घंटे की कमी देखी गई और उनके गेंदबाजी एक्शन में भी बदलाव नजर आया। रिकॉर्ड के अनुसार, मयंक ने 30 मार्च 2024 से 4 मई 2025 के बीच 9 टी20 मैच खेले, जिसमें पिछले साल लखनऊ के लिए 4 मैच शामिल थे, जहां उन्होंने 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सुर्खियां बटोरी थीं।

हालांकि, अप्रैल 2024 में उनकी पहली चोट सामने आई, जिसके बाद वह छह महीने तक बाहर रहे। इसके बाद अजीत अगरकर और गौतम गंभीर ने उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय सीरीज के लिए भारतीय टीम में चुना। सीरीज के अंत तक उनकी पीठ की चोट फिर उभर आई, जिसके चलते वह एनसीए और नवनिर्मित सीओई में रिहैबिलिटेशन के कारण पूरे घरेलू सत्र से चूक गए।
एनसीए के पूर्व ‘स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग ट्रेनर’ ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि नितिन पटेल के जाने के बाद मयंक के रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया अस्पष्ट है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या मयंक को बिना पूरी जांच के ‘फिट’ घोषित कर दिया गया, जिसके कारण दो मैचों में ही उनकी चोट फिर उभर आई। मयंक और उमरान मलिक जैसे तेज गेंदबाजों के रिहैबिलिटेशन में खामियां स्पष्ट हैं।
22 वर्षीय मयंक के पास अभी लंबा करियर बाकी है, लेकिन बार-बार लगने वाली चोटों के कारण चयन समिति का उन पर भरोसा डगमगा सकता है। बीसीसीआई के तेज गेंदबाज अनुबंध के तहत होने के बावजूद, उनकी चोटों के प्रबंधन में कमी रही है। विदेशी विशेषज्ञों से सलाह लेने की जरूरत पर सीओई ने आपत्ति जताई है, जो उनके भविष्य के लिए चिंता का विषय है।