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दुबई : हार्दिक पांड्या को जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में चैंपियन्स ट्रॉफी में नई गेंद से गेंदबाजी की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी और इस ऑलराउंडर ने कहा कि उनकी संघर्ष करने की स्वाभाविक क्षमताओं ने उन्हें नई भूमिका में ढलने में मदद की। हालांकि टूर्नामेंट में पांड्या पर अधिक भार नहीं रहा क्योंकि भारत ने मुख्य रूप से चार स्पिनरों के साथ गेंदबाजी की। पांड्या ने पांच मैच में सिर्फ 24.3 ओवर गेंदबाजी की और चार विकेट लिए। 

पांड्य ने भारत की खिताबी जीत के बाद मिक्स्ड जोन में कहा, ‘गेंदबाजी अपना काम खुद करती है। यह साल सीखने और चुनौतियों से भरा रहा। मेरी मानसिकता ने मुझे कभी चुनौतियों से भागना नहीं सिखाया। मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि अगर चुनौतियां कठिन हैं तो इसका डटकर सामना करो। अगर आप मैदान नहीं छोड़ते हैं, तो आपके पास मौका होता है।' 

पांड्या ने कहा कि वह बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे हमेशा खुद पर भरोसा रहा है कि मैं यह कर सकता हूं। और साथ ही पर्दे के पीछे की गई कड़ी मेहनत रंग लाती है। मेरा हमेशा मानना ​​है कि आप जिस तरह से तैयारी करते हैं, आप उसे खेल में भी दिखा पाएंगे।' 

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में जीत ने पांड्या को 2017 के टूर्नामेंट में पाकिस्तान से भारत की हार की कड़वी यादों को मिटाने में भी मदद की जिसका वह भी हिस्सा थे। पांड्या ने कहा, ‘मैं कह सकता हूं कि आज एक अधूरा सपना पूरा हो गया। लेकिन आठ साल बहुत लंबा समय होता है। आठ साल में जीवन में बहुत कुछ हुआ। लेकिन साथ ही जीतना, और वह भी भारत के लिए, मेरे लिए यह बहुत-बहुत महत्वपूर्ण है।'