स्पोर्ट्स डेस्क : नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चल रही विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में मंगलवार का दिन भारत के लिए एक और ऐतिहासिक रहा। महाराष्ट्र के संदीप संजय सरगर ने भाला फेंक F44 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर तिरंगा लहराया और देश को गर्व महसूस कराया।
रिंकू और सुंदर से मिली प्रेरणा
सोमवार को ही रिंकू और सुंदर सिंह गुर्जर ने F46 वर्ग में स्वर्ण और रजत पदक जीते थे। सरगर ने कहा कि उस ऐतिहासिक पल को देखकर उन्हें भी आत्मविश्वास और प्रेरणा मिली। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं कल यहां माहौल को समझने आया था। भीड़, प्रोत्साहन और जोश—सबने मुझे ताकत दी। और आज उसी ने मुझे जीत दिलाई।"
बारिश, ठंड और दबाव… फिर भी स्वर्ण
दिल्ली की दोपहर में अचानक हुई भारी बारिश और गिरी हुई तापमान ने एथलीटों को चुनौती दी। लेकिन सरगर ने इसे पार करते हुए अपने पांचवें प्रयास में 62.82 मीटर का शानदार थ्रो फेंका। हालांकि वे पहले ही 62.68 मीटर के थ्रो से बढ़त बना चुके थे, लेकिन उनका बेस्ट थ्रो दर्शकों के लिए जश्न का कारण बन गया। राजस्थान के संदीप चौधरी ने भी कड़ी टक्कर दी और 62.67 मीटर तक पहुँच गए, लेकिन सरगर ने उन्हें पछाड़ते हुए स्वर्ण पर कब्जा किया।
“गर्म मौसम में और बेहतर करता”
SAI सोनीपत में प्रशिक्षण लेने वाले और TOPS कोर एथलीट सरगर ने माना कि मौसम ने उनके प्रदर्शन को थोड़ा प्रभावित किया। उन्होंने कहा, "बारिश और ठंडे मौसम ने मुझे मुश्किल दी। गर्म मौसम में मैं और भी अच्छा कर सकता था। फिर भी, अपने देश के लिए पदक जीतना शानदार एहसास है।"
डिलीवरी बॉय से चैंपियन तक का सफर
आज जिस एथलीट को पूरा भारत सलाम कर रहा है, कभी वही सरगर पुणे में ज़ोमैटो डिलीवरी बॉय का काम किया करते थे। परिवार या दोस्त स्टेडियम में मौजूद नहीं थे, फिर भी उन्होंने अकेले दम पर स्वर्ण झटक लिया। उन्होंने भावुक होकर कहा, "स्टैंड में मेरा कोई नहीं था, लेकिन मैंने खुद को और देश को प्रेरणा मानकर खेला। पदक जीतकर सपने पूरे हुए हैं।"
भारत का तीसरा स्वर्ण, सफर जारी
सरगर का यह पदक भारत का इस चैंपियनशिप में तीसरा स्वर्ण पदक रहा। इसके तुरंत बाद सुमित ने F64 वर्ग में चौथा स्थान हासिल किया। भारत के पैरालिंपिक दल के लिए यह लगातार सफलता साबित कर रही है कि मेहनत और जुनून के आगे कोई चुनौती बड़ी नहीं होती।