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नई दिल्ली : भारत के पूर्व मुख्य कोच संजय बांगड़ का मानना है कि मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) में होने वाला बॉक्सिंग डे टेस्ट एकदम सही है। विराट कोहली के पास इस अवसर पर आगे बढ़ने और खुद को भारत की बल्लेबाजी लाइनअप के आधार के रूप में फिर से स्थापित करने का अवसर है। फिलहाल बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 1-1 से बराबरी पर है। यह मैच जीतते ही भारत की विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल में पहुंचने की संभावनाएं मजबूत हो जाएंगी। मौजूदा सीरीज में कोहली का फॉर्म मिला-जुला रहा है। जहां पर्थ में उनके शतक ने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई, वहीं अन्य मैचों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। 6 पारियों में 30 की औसत से केवल 126 रन बनाने वाले कोहली निरंतरता बनाए रखने में विफल रहे हैं। अपने पर्थ शतक को छोड़कर उन्होंने 5 पारियों में केवल 26 रन बनाए हैं।

 

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टेस्ट सीरीज में कोहली एक बार फिर से ऑफ-स्टंप के बाहर की डिलीवरी पर फंसते नजर आ रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने इस कमजोरी का जमकर फयदा भी उठाया है। हालांकि, पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने इस बात पर जोर दिया कि क्रीज पर धैर्य और शांत रवैया कोहली के लिए इन संघर्षों का इलाज हो सकता है। बांगड़ ने कहा कि कभी-कभी आपको एक बल्लेबाज के रूप में अपनी स्थिति को थोड़ा नियंत्रण में रखने की आवश्यकता होती है। जब आप खेल के प्रति थोड़ा समर्पण करते हैं, थोड़ा समय बिताते हैं, कुछ समय के लिए बीच में आराम करते हैं, गेंदबाज के आपके पास आने का इंतजार करते हैं, और खुद गेंदबाज के पास नहीं जाते हैं, यह एक बड़े खिलाड़ी की निशानी है।

 

एमसीजी का मैदान पर कोहली के लिए रन लेकर आता है। इस मैदान पर वो 52.66 की औसत से 316 रन बना चुके हैं।  2014 के बॉक्सिंग डे टेस्ट में उन्होंने इसी मैदान पर 169 रन बनाए थे। मेलबर्न की पिच उछाल के लिए जानी जाती है, ऐसी परिस्थितियां अक्सर कोहली को रास आती हैं। बांगड़ ने कहा कि कोहली को अपने फ्रंट पैड के करीब गेंदों को खेलने पर ध्यान देने की जरूरत है, एक ऐसा तरीका जो उन्हें लय और प्रवाह हासिल करने में मदद कर सकता है। जितनी संभव हो उतनी गेंदें अपने फ्रंट पैड के करीब खेलें और फिर रन बनेंगे।  इस हाई-स्टेक मुकाबले में विराट की भूमिका अंतर पैदा करने वाली हो सकती है। उन्होंने एमसीजी में पहले भी ऐसा किया है और ऐसा कोई कारण नहीं है कि वह दोबारा ऐसा नहीं कर सकें।