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नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने घोषणा की कि वे पहले राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक का अध्ययन करेंगे, जो बुधवार को संसद में पेश किया जाना है, और उसके बाद ही वे इस पर अपने विचार व्यक्त करेंगे। खेल मंत्रालय के सूत्रों ने मंगलवार ने खुलासा किया कि बीसीसीआई प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 के दायरे में आएगी जिसे संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है। हालांकि बीसीसीआई सरकारी धन पर निर्भर नहीं है, फिर भी विधेयक में इसके शामिल होने की व्यापक रूप से उम्मीद थी, खासकर 2028 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भारतीय क्रिकेट टीम की प्रस्तावित भागीदारी को देखते हुए। 

शुक्ला ने विधेयक पेश होने से पहले इस पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया और कहा, 'हमें विधेयक पेश होने के बाद इसका अध्ययन करना होगा। उसके बाद ही मैं इस पर अपने विचार व्यक्त कर सकता हूं।' बीसीसीआई तमिलनाडु सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1975 के तहत पंजीकृत है। बीसीसीआई भारत में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट के सभी पहलुओं की देखरेख के लिए जिम्मेदार है। फिलहाल बीसीसीआई 45 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल महासंघों के अंतर्गत नहीं आता है। अगर भारतीय क्रिकेट बोर्ड इस विधेयक के दायरे में आता है, तो वह सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के अधीन भी आ सकता है। 

अधिकारियों ने कहा कि राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSF) के चुनावों और खिलाड़ियों के चयन को लेकर बार-बार होने वाले मुकदमेबाजी, एक समर्पित विवाद समाधान मंच का अभाव, महासंघों में खिलाड़ियों का कमजोर या नाममात्र का प्रतिनिधित्व, खेल नेतृत्व में लैंगिक असंतुलन और सभी महासंघों में मानक चुनावी प्रक्रिया का अभाव जैसी समस्याओं का समाधान करेगा। 

उन्होंने कहा कि यह NSF में वित्तीय अस्पष्टता और खराब प्रशासन के साथ-साथ आंतरिक शिकायत निवारण प्रणालियों के अभाव से निपटने में भी मदद करेगा। राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का उद्देश्य खेल निकायों के पारदर्शी और निष्पक्ष संचालन के लिए एक कानूनी ढांचा स्थापित करना है जिससे निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य हो जाएगा। इसका उद्देश्य खेल न्यायाधिकरण के माध्यम से विवादों का त्वरित समाधान और चुनाव पैनल के माध्यम से निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है। अधिकारियों ने कहा कि सरकार की भूमिका नियंत्रक की नहीं, बल्कि सुविधा प्रदाता की होगी।