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नई दिल्ली : विश्व चैंपियनशिप में तीन बार के पदक विजेता बजरंग पूनिया ने मंगलवार को कुश्ती को राष्ट्रीय खेल घोषित करने की अपील की क्योंकि भारतीय पहलवान बड़ी प्रतियोगिताओं में लगातार पदक जीत रहे हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने सोमवार को एक पुरस्कार समारोह के दौरान खेल मंत्री कीरेन रीजीजू की मौजूदगी में कुश्ती को राष्ट्रीय खेल बनाने का विचार रखा था जिसका ओलंपिक में दो बार के पदक विजेता सुशील कुमार ने समर्थन किया था।

बजरंग ने खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘मेरा भी मानना है कि कुश्ती को राष्ट्रीय खेल बनाया जाना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसा खेल है जिसमें हम विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक में लगातार पदक जीत रहे हैं।' बजरंग ने हाल में कजाखस्तान के नूर सुल्तान में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। इससे पहले उन्होंने इस चैंपियनशिप में 2018 में रजत और 2013 में कांस्य पदक हासिल किया था।

खेल मंत्री रीजीजू ने हालांकि कहा कि वह किसी भी खेल को कम या ज्यादा करके नहीं आंक सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘खेल मंत्री होने के नाते मुझे सभी खेलों को समान महत्व देना होगा। मैं भेदभाव नहीं कर सकता। कुश्ती भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, इसने भारतीय तिरंगा ऊंचा रखा है लेकिन हमें सभी ओलंपिक खेलों के साथ साथ गैर ओलंपिक और पारंपरिक खेलों को भी महत्व देना होगा।' रीजीजू ने कहा, ‘लेकिन किसी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित करना ... यह बेहद भावनात्मक और आलोचनात्मक मामला है। इसलिए खेल मंत्री होने के नाते मुझे किसी मांग के आधार पर घोषणा या फैसला नहीं करना चाहिए। मैं इस मामले पर चर्चा करके बेवजह का विवाद पैदा नहीं करना चाहता हूं।'

खेल मंत्री ने उम्मीद जताई कि अगले साल तोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में भारत अधिकतम पदक जीतेगा। उन्होंने कहा, ‘तोक्यो में 2020 में होने वाले ओलंपिक महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं और अन्य खेलों की तरह कुश्ती टीम भी तोक्यो में हमारी मुख्य ताकत होगी। मैं कुश्ती के प्रबंधन, कोचों के प्रयास और पूरे तकनीकी सहयोगी स्टाफ से खुश हूं। भारत के पास तोक्यो में कई पदक जीतने की क्षमता है।' डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष शरण भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने कहा, ‘भारत ने रियो में दो पदक जीते थे और उनमें से एक कुश्ती में आया था। मैं वादा करता हूं कि तोक्यों में हमारे पहलवान इससे दुगुने पदक जीतेंगे।'