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स्पोर्ट्स डेस्क : साहस, संकल्प और सहनशीलता, ये गुण एक खिलाड़ी को मजबूत बनाते हैं। एथलेटिक्स में चोट और जीत के बीच एक पतली रेखा होती है। शरीरिक फिटनेस की मांग गंभीर चोट का कारण बन सकती है। ऐसे में जहां कई खिलाड़ी हिम्मत हार जाते हैं, वहीं कुछ दृढ़ निश्चय के बदौलत मैदान में वापसी में वापसी कर और शानदार प्रदर्शन करते हैं। ऐसी ही अंतरराष्ट्रीय धावक हैं 26 वर्षीय ट्विंकल चौधरी। 

पंजाब के जालंधर स्थित पटेल चौक की रहने वाली ट्विंकल को 2019 में एक रेस के दौरान पैर की हड्‌डी में चोट लग गई थी। एक साल तक उपचार चला। ट्विंकल ने जब चोट से उभर कर अभ्यास शुरू किया तो काफी दर्द था। धावक ने दर्द को एक चुनौती के रूप में सहन किया। छह महीने तक शरीर को मजबूत बनाया। फिर, दोबारा ट्रैक पर लौटीं और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल कर माता-पिता और जालंधर का नाम रोशन किया। 

ट्विंकल ने बताया कि 2019 में उनके पैर के पिछले हिस्से की हड्डी में चोट लग गई थी। इसका उपचार उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में करवाया। डाक्टर ने कहा, अब उनके लिए दौड़ना संभव नहीं होगा। ट्विंकल ने कहा उन्होंने हौसला नहीं छोड़ा। मन में ट्रैक पर वापसी का जज्बा था। एक वर्ष तक उपचार करवाने के लिए सप्ताह में एक बार दिल्ली जाती रहीं। डाक्टर की हर सलाह मानी। जब चोट 50 प्रतिशत ठीक हो गई थी तो धीरे-धीरे मैदान में अभ्यास करना शुरू किया। एक वर्ष तक किसी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया। 

ट्विंकल ने कहा, जब खिलाड़ी खेल व मैदान से दूर हो जाता है तो ऐसा लगता है सब कुछ खत्म हो गया है। ऐसे समय में स्वयं को सकारात्मक और मजबूत रखना होता है। इसके लिए उन्होंने ध्यान लगाया। सीनियर कोच सर्बजीत सिंह हैप्पी अभ्यास करवाते रहे ताकि दोबारा चोट की शिकायत न आए। 

ट्विंकल ने राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर लगातार शानदार प्रदर्शन करते हुए गत फरवरी में बेंगलुरु में हुई ओपन नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मी रिले रेस में स्वर्ण पदक, 800 मीटर में रजत पदक, 400 मीटर रिले में कांस्य पदक अपने नाम किया। उन्होंने रूस में हुई ब्रिक्स गेम्स में 800 मीटर रेस में देश का प्रतिनिधित्व किया।