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बर्लिन : जूनियर विश्व खिताब जीतने के दो महीने से भी कम समय में भारत की 17 साल की अदिति स्वामी (Aditi Swami) विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप के कंपाउंड महिला फाइनल में शनिवार को यहां मैक्सिको की एंड्रिया बेसेरा को हराकर सबसे कम उम्र में सीनियर विश्व चैंपियन बनी। वह इस स्पर्धा में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाली देश की पहली खिलाड़ी है। 

 


ओजस देवताले (Ojas Deotale) ने पुरुषों के कंपाउंड वर्ग में 150 के सटीक स्कोर के साथ खिताब जीता जिससे भारत ने अपने अभियान का अंत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के साथ किया। भारत ने इसमें तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीता। महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले शांत और धैर्यवान देवताले ने रोमांचक फाइनल मुकाबले में पोलैंड के लुकाज प्रिजीबिल्स्की को एक अंक से हराया। 

 


अदिति और देवताले दोनों सतारा में एक ही अकादमी में कोच प्रवीण सावंत की देखरेख में प्रशिक्षण लेते हैं। सतारा की 12वीं कक्षा की छात्रा अदिति ने जुलाई में लिमरिक में युवा चैंपियनशिप में अंडर-18 का खिताब जीता था। उन्होंने यहां फाइनल में संभावित 150 अंकों में से 149 अंक के साथ मैक्सिको की खिलाड़ी को दो अंक से पछाड़ा। 

 


अदिति ने परनीत कौर और ज्योति सुरेखा वेन्नम के साथ शुक्रवार को कंपाउंड महिला टीम फाइनल जीतकर भारत के लिए पहली बार विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक हासिल किया था। अदिति ने इससे पहले क्वार्टर फाइनल में नीदरलैंड की सान्ने डी लाट और सेमीफाइनल में ज्योति को 149-145 से शिकस्त दी थी।

 


अदिति ने इस प्रदर्शन के बाद कहा कि बस भारत के लिए पहला स्वर्ण जीतना था और कुछ सोच दिमाग में नहीं आ रही थी। मुझे पता था कि वह बहुत अनुभवी है और ऐसी तीरंदाज है जिसका मैं अनुसरण करती हूं। मैंने अपना ध्यान सिर्फ अपनी तीरंदाजी पर रखा और बाकी सब ठीक हो गया। मुझे बहुत गर्व है, मैं विश्व चैंपियनशिप में बजने वाले राष्ट्रगान के 52 सेकंड सुनना चाहती थी। यह तो बस शुरुआत है।

 


ज्योति ने हालांकि कांस्य पदक जीता। उन्होंने तीसरे स्थान के प्ले-ऑफ में परफेक्ट 150 अंक जुटाकर तुर्की की इपेक टोमरुक को चार अंकों से हराया। ज्योति ने कहा कि यह ज्यादा निराशा वाली बात नहीं है। आखिरकार, मैं इस बार टीम स्पर्धा में स्वर्ण जीतने में सफल रही हूं। ज्योति के पास अब विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप के तीन सत्र में एक स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य पदक हैं।

 


दोपहर के सत्र में देवताले ने स्वर्ण जीतकर भारत के लिए इस अभियान को और शानदार बना दिया। देवताले और पोलैंड के उनके प्रतिद्वंद्वी के बीच मुकाबला बेहद करीबी था। शुरूआती तीन दौर के बाद दोनों के एक समान परफेक्ट 90 अंक थे। देवताले ने इसके बाद भी 10 अंकों वाले सटीक निशाना लगाना जारी रखा और 150 में से 150 अंक बनाए। प्रिजीबिल्स्की दबाव में आ गए और उन्होंने एक निशाना नौ अंक का लगाया। इससे उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

 


भारतीय तीरंदाजी संघ के महासचिव प्रमोद चांदुरकर ने कहा कि यह कोई संयोग नहीं है और यह मजबूत टीम वर्क, खेल विज्ञान पर ध्यान और हमारी तकनीकी टीम पर 100 प्रतिशत भरोसे का नतीजा है। उन्होंने कहा कि दो महीने में एशियाई खेल होने वाले हैं, इससे तीरंदाजी को काफी बढ़ावा मिलेगा।