कराची : पाकिस्तान क्रिकेट एक बार फिर मुश्किल में है और इस बार चैंपियंस ट्रॉफी में खराब प्रदर्शन के बाद राष्ट्रीय टीम के लिए प्रायोजक जुटाना भी सत्ताधारियों के लिए चुनौती बन सकता है। पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी भारत ने रविवार को दुबई में पाकिस्तान को 6 विकेट से हरा दिया जिससे मेजबान टीम टूर्नामेंट से बाहर होने की कगार पर पहुंच गई। भारत से हारने से एक दिन पहले ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड मैच के लिए गद्दाफी स्टेडियम में लोगों की शानदार भीड़ को देखकर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के अधिकारी आत्मविश्वास से भरे हुए थे।
बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि लोगों की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान से इतर मैच का आनंद लेते देखना एक उत्साहवर्धक अनुभव था। उन्होंने कहा कि लेकिन अब चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान में बचे हुए मैचों के लिए दर्शकों की भीड़ आती रहे क्योंकि हम 29 साल बाद इतने बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहे हैं। 1996 के विश्व कप के बाद पाकिस्तान में 8 टीमों की चैंपियंस ट्रॉफी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) का पहला टूर्नामेंट है और उम्मीद थी कि घरेलू टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी। सोमवार को न्यूजीलैंड की जीत का मतलब है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों ही टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं।
बोर्ड के वाणिज्यिक इकाई के एक विश्वसनीय सूत्र ने कहा कि अगर पाकिस्तान सेमीफाइनल में नहीं भी खेलता है तो भी पीसीबी को वित्तीय रूप से कोई बड़ा झटका नहीं लगेगा क्योंकि केवल गेट पर्ची और मैदान की आय के अन्य स्रोत ही प्रभावित होंगे। लेकिन संकटग्रस्त टीम की ‘ब्रांड वैल्यू' पर असर पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि हमें मेजबानी शुल्क, टिकट बिक्री सहित आईसीसी राजस्व में हमारा हिस्सा मिलने की गारंटी है, लेकिन अन्य मुद्दे भी हैं जैसे कि लोगों का इस बड़े टूर्नामेंट में रुचि खत्म होना और प्रसारणकर्ता द्वारा आधे भरे हुए स्टेडियम दिखाना आदि। और सबसे बड़ी चिंता यह है कि यहां क्रिकेट के प्रति दीवानगी के बावजूद भविष्य में पाकिस्तान क्रिकेट को एक ब्रांड के रूप में बेचना आसान नहीं होगा।