खेल डैस्क : आखिरी ओवर में कसी हुई गेंदबाजी कर लखनऊ सुपर जायंट्स को जीत दिलाने में आवेश खान का बड़ा रोल रहा। अवेश ने मैच में चार ओवर में 37 रन देकर 3 विकेट हासिल की जिसकी बदौलत उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया। आखिरी ओवर में एक समय ऐसा भी आया जब शुभम का एक तेज शॉट उनके हाथ पर लगा। वह अपनी हाथ की परवाह किए बगैर गेंद की ओर भागते नजर आए। उक्त शॉट करीब 140 किमी/घंटा की रफ्तार से आवेश की ओर आया था। मैच जीतने के बाद वह सबसे भावुक भी दिखे। मैच में योगदान और चोट पर बोलते हुए आवेश खान ने कहा कि मेरा हाथ अच्छा है, मेरी हड्डी पर गेंद लगी, मैं जश्न नहीं मना सका। आखिरी ओवर में मैं मिशेल स्टार्क नहीं बनना चाहता, मैं बस एक अच्छा आवेश खान बनना चाहता था। यॉर्कर मेरी ताकत है और मैं इसे अंजाम देने की कोशिश करता हूं। मैं स्कोरकार्ड को देखकर गेंदबाजी नहीं करता।
मिलर के ड्रॉप कैच पर आवेश ने कहा कि मुझे लगा कि वह इसे जरूर ले लेंगे। सिर्फ़ 4 रन की ज़रूरत थी, मेरे दिमाग में कुछ संदेह थे, एक बाहरी या अंदरूनी किनारा बाउंड्री के लिए जा सकता था। मैंने खुद से कहा कि मिडिल-लेग पर यॉर्कर फेंकना है। मैं टीम के बारे में सोचता हूं। हमने यह जीत लिया। यह एक बड़ा टूर्नामेंट है, मैं बाकी मैचों में भी इसी तरह से गेंदबाजी करने की कोशिश करूंगा।
गेंदबाजों को श्रेय जाता है : ऋषभ पंत
मुझे लगता है आज दोनों (राहत और खुशी) मिले हैं। इस तरह के मैच चरित्र का निर्माण करते हैं। यह एक अद्भुत जीत थी। एक टीम के रूप में, यह हमें एक अलग स्तर पर ले जाएगा। ये वो सकारात्मक चीजें हैं जिनके बारे में हम हमेशा बात करते हैं। हम एक टीम के रूप में बेहतर प्रदर्शन करने जा रहे हैं। इसका सारा श्रेय गेंदबाजों को जाता है जिन्होंने सही समय पर अपनी हिम्मत बनाए रखी।
हार के लिए मैं खुद दोषी : रियान पराग
भावनाओं को व्यक्त करना थोड़ा मुश्किल लग रहा है, समझ नहीं आ रहा कि हमने क्या गलत किया। हम 18-19वें ओवर तक खेल में बने रहे। मुझे शायद 19वें ओवर में ही खेल खत्म कर देना चाहिए था, मैं खुद को दोषी मानता हूं। हमें बस 40 ओवर तक एक साथ मिलकर एक गेम खेलना है, तभी हम जीत सकते हैं।