article

चुनावी हिंसा पश्चिम बंगाल की राजनीति का हिस्सा बन चुकी है। वर्ष 2018 के पंचायत चुनावों और उसके अगले वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान भी राज्य में काफी हिंसा हुई। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 1999 से 2016 के बीच पश्चिम बंगाल में प्रति वर्ष औसतन 20 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं जबकि भाजपा ने आरोप लगाया है कि राज्य में 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान और उसके बाद हिंसा में लगभग 60 लोगों की राजनीतिक हत्याएं हुईं।

अब जबकि राज्य में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं, इनके लिए 9 जून को नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही राज्य में हिंसा शुरू हो गई है तथा नामांकन शुरू होने के दिन भी ‘फूलचंद शेख’ नामक एक कांग्रेस कार्यकर्ता की ‘खाड़-ग्राम’ में गोली मार कर हत्या कर दी गई। इससे पहले 26 मई को ‘नाडिया’ जिले के ‘कृष्ण गंज’ में भाजपा के एक नेता ‘नकुल हलदर’ की लाश पेड़ से लटकती पाई गई।

उसी दिन ‘पूर्वी मिदनापुर’ जिले के ‘मोयना’ नामक स्थान पर भाजपा के एक अपहृत नेता ‘विजय भूईया’ की लाश बरामद हुई तथा 2 जून को ‘कूच बिहार’ में अज्ञात हमलावरों ने भाजपा नेता ‘प्रशांत बासुनिया’ को गोली मार दी। 13 जून को ‘दक्षिण 24 परगना’ जिले के ‘भांगर’ में बम फैंकने की घटना में कई लोग घायल हो गए। फिर 14 जून को भी ‘दक्षिण 24 परगना’ और ‘बांकुड़ा’ जिलों में विभिन्न जगहों पर हिंसा हुई तथा ‘इंडियन सैकुलर फ्रंट’  और तृणमूल कांग्रेस के समर्थक आपस में भिड़ गए।

दोनों दलों के समर्थकों ने एक-दूसरे को नामांकन दाखिल करने से रोकने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने एक-दूसरे पर बम फैंके और कारों को नुक्सान पहुंचाया। इस झड़प में दोनों पक्षों के कई कार्यकत्र्ता घायल हो गए। उपद्रवियों को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने लाठीचार्ज किया। ‘दक्षिण 24 परगना’ जिले के ‘कैनिंग’ इलाके में भी ङ्क्षहसा में तृणमूल कांग्रेस के असंतुष्ट गुटों के सदस्यों से जुड़े उपद्रवियों ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोकने की कोशिश की।

उन्होंने रैपिड एक्शन फोर्स के सदस्यों पर बम फैंके और पथराव किया। स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस को यहां भी आंसू गैस छोडऩी पड़ी। ‘बांकुड़ा’ के ‘इंदास’ में भी नामांकन केंद्र के बाहर भाजपा व तृणमूल समर्थकों के बीच झड़प हुई और दोनों के समर्थकों ने एक-दूसरे पर पथराव किया। ‘इंडियन सैकुलर फ्रंट’ (आई.एस.एफ.) के नेता तथा ‘भांगर’ के विधायक नौशाद सिद्दीकी के अनुसार, ‘‘तृणमूल कांग्रेस के गुंडे हमारे उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोकने के लिए हिंसा पर उतारू हैं।’’

भाजपा नेत्री अग्निमित्र पाल ने आरोप लगाया है कि‘‘तृणमूल कांग्रेस ङ्क्षहसा करवा करराज्य में नामांकन प्रक्रिया में बाधा डालने का प्रयास कर रही है।’’ दूसरी ओर तृणमूल के राज्य प्रवक्ता कुणाल घोष ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि‘‘इंडियन सैकुलर फ्रंट (आई.एस.एफ.) ङ्क्षहसा भड़काने की कोशिश कर रहा है।’’ इस बीच पंचायत चुनावों को शांतिपूïर्वक ढंग से सम्पन्न कराने के लिए 13 जून को कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया है। चुनावों में इस प्रकार की घटनाओं का होना बताता है कि राजनीति में ङ्क्षहसा की भावना किस कदर जड़ें जमा कर लोकतंत्र के सबसे निचले स्तम्भ पंचायतों के चुनाव तक पहुंच चुकी है। इसे स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सही नहीं कहा जा सकता। -विजय कुमार