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नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट के बड़े नाम राष्ट्रीय चयनकर्ता के पद के लिये आवेदन करने से अक्सर कतराते आये हैं और जानकारों का मानना है कि जो बनना भी चाहते हैं, उन्हें इस पद के लिये वेतन कम होने के कारण गंभीरता से नहीं लिया जाता । इसका कारण है वेतन कम होना । उत्तर क्षेत्र से चेतन शर्मा की जगह बीसीसीआई को तब तक कोई बड़ा नाम नहीं मिलेगा जब तक वेतन में इजाफा नहीं होता । शर्मा को फरवरी में एक स्टिंग आपरेशन के बाद पद गंवाना पड़ा । इस स्टिंग में वह भारतीय खिलाड़ियों और टीम चयन को लेकर गोपनीय जानकारी पर बात करते नजर आये थे । 

अभी सीनियर चयन समिति के अध्यक्ष को मिलते हैं 1 करोड़

भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज शिवसुंदर दास को शर्मा की जगह अध्यक्ष बनाया गया जबकि एस शरत (दक्षिण), सुब्रोतो बनर्जी (मध्य) और सलिल अंकोला (पश्चिम) चयन समिति में हैं । सीनियर चयन समिति के अध्यक्ष को एक करोड़ रूपये सालाना मिलते हैं जबकि चार अन्य सदस्यों को 90 लाख रूपये सालाना दिये जाते हैं । आखिरी बार कोई बड़ा क्रिकेटर चयन समिति का अध्यक्ष था जब दिलीप वेंगसरकर (2006 से 2008) और कृष्णामाचारी श्रीकांत (2008 से 2012) ने यह जिम्मेदारी संभाली थी । वेंगसरकर का काम अवैतनिक था जबकि श्रीकांत के चयनकर्ता बनने के बाद से बीसीसीआई ने वेतन देना शुरू किया । मोहिंदर अमरनाथ भी चयन समिति में थे और संदीप पाटिल भी इसके अध्यक्ष रहे । इस समय उत्तर क्षेत्र से चयन समिति में शामिल किये जाने के लिये एक ही बड़ा नाम उभरता है और वह है वीरेंद्र सहवाग । 

बीसीसीआई के एक अधिकारी ने बताया ,‘‘ प्रशासकों की समिति के कार्यकाल के दौरान वीरू को मुख्य कोच के पद के लिये आवेदन करने के लिये कहा गया जो बाद में अनिल कुंबले बने । अब नहीं लगता कि वह खुद से आवेदन करेंगे । इसके अलावा उनके जैसे बड़े खिलाड़ी को उसके कद के अनुरूप वेतन भी देना होगा ।' उत्तर क्षेत्र से अन्य दिग्गज खिलाड़ी या तो प्रसारक चैनलों से जुड़े हैं या आईपीएल टीमों से । कुछ की अकादमियां है तो कुछ कॉलम लिखते हैं । गौतम गंभीर, हरभजन सिंह और युवराज सिंह भी उत्तजर क्षेत्र से है लेकिन क्रिकेट को अलविदा कहे को पांच साल पूरा होने के मानदंड पर खरे नहीं उतरते । भारत के पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह दो बार आवेदन कर चुके हैं । पहली बार उन्हें इंटरव्यू के लिये बुलाया गया लेकिन दूसरी बार नहीं ।