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खेल डैस्क : पहलवानों के विवाद के बीच विश्व शासी निकाय यूनाइटेड वर्ल्ड रैसलिंग (यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू.) ने चुनाव नहीं कराने पर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यू.एफ.आई.) को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इसका मतलब यह है कि भारतीय पहलवान सितंबर में बेलग्रेड में विश्व चैम्पियनशिप सहित यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय ध्वज के नीचे प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। यदि कोई भारतीय पहलवान स्वर्ण पदक जीतता है तो कोई राष्ट्रगान नहीं बजाया जाएगा। इसके तहत अब भारतीय पहलवान और उनके सहयोगी कर्मी (उच्च प्रदर्शन, चिकित्सा या तकनीकी भूमिका वाले व्यक्ति) जैसे कोच, सहायक कोच, खेल चिकित्सक या मालिशिया) सभी यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. स्वीकृत कार्यक्रमों (यानी यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. कैलेंडर पर सभी कार्यक्रम) में भाग लेने के लिए अधिकृत हैं, हालांकि वे यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. ध्वज के तहत ही ऐसा कर पाएंगे।

 

इसलिए हुई देरी
ओलिम्पिक पदक विजेता बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगट शामिल ने तत्कालीन डब्ल्यू.एफ.आई. अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और अन्य के खिलाफ यौन उत्पीड़न, धमकी, वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक चूक के आरोप लगाकर दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया था। जनवरी में जंतर-मंतर पर केंद्रीय खेल मंत्रालय ने महासंघ प्रमुख को जांच पूरी होने तक पद से हटने को कहा। मैरी कॉम की अध्यक्षता वाली ओवरसाइट कमेटी (ओ.सी.) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। हालांकि इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। डब्ल्यू.एफ.आई. ने पहले घोषणा की थी कि उसके चुनाव जो पहले फरवरी में होने थे अब 7 मई को होंगे। पहलवानों ने फिर विरोध किया। उन्होंने कहा कि बृजभूषण के परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। बृज भूषण स्वयं 3 कार्यकाल (12 वर्ष) पूरा करने के बाद डब्ल्यू.एफ.आई. चुनाव लड़ने के पात्र नहीं थे। मंत्रालय ने 24 अप्रैल को चुनाव पर रोक लगाकर आई.ओ.ए. को 45 दिनों के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक समिति बनाने को कहा था। इसी बीच मई में अंतर्राष्ट्रीय ओम्लिपिक समिति और यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. दोनों ने आई.ओ.ए. को निर्धारित समय सीमा के अंदर चुनाव कराने के लिए कहा। आई.ओ.ए. ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एम.एम. कुमार को चुनाव कराने के लिए नियुक्त किया। कुमार 12 जून को होने वाले चुनावों के लिए रिटर्निंग ऑफिसर बने लेकिन इसके बाद चुनाव 6 जुलाई को निर्धारित कर दिए गए। इस बीच यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. ने 3 जुलाई को डब्ल्यू.एफ.आई. के संभावित निलंबन के बारे में चेतावनी दी थी। मतदान का अधिकार चाहने वाले असंतुष्ट राज्य संघों के कारण भी और देरी हुई। पहले 25 जून को गुवाहाटी उच्च न्यायालय और फिर 11 अगस्त को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के कारण चुनावों पर रोक लगाना महत्वपूर्ण हो गया। इसके कारण यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. को डब्ल्यू.एफ.आई. को कम से कम 6 महीने के लिए अस्थायी रूप से निलंबित करने के लिए पर्याप्त आधार मिला। 

 

अब आगे क्या ?
उत्तर प्रदेश से 6 बार के प्रभावशाली सांसद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता बृज भूषण ने डब्ल्यू.एफ.आई. राज्य इकाइयों के बहुमत पर मजबूत पकड़ बनाए रखी है, लेकिन पहलवान बृज भूषण के वफादारों को बाहर रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सत्ता को चुनाव में अपनी पसंद के कुछ उम्मीदवार मिल गए हैं। डब्ल्यू.एफ.आई. के विभिन्न गुटों को यह महसूस करने की जरूरत है कि मौजूदा मुद्दे के कारण खेल को कितना भारी नुकसान हुआ है। देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी से बचाने और एथलीटों को तिरंगे के नीचे प्रतिस्पर्धा करने का अधिकार दिलाने का एकमात्र तरीका डब्ल्यू.एफ.आई. चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराना ही होना चाहिए।