नेशनल डेस्क : ऑस्ट्रेलिया में हर साल 26 दिसंबर को खेले जाने वाले टेस्ट मैच को बॉक्सिंग-डे के नाम से जाना जाता है। क्रिसमस के अगले दिन यानी 26 दिसंबर को शुरू होने वाला यह टेस्ट मैच ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट की परंपरा का एक अहम हिस्सा है। ऑस्ट्रेलिया में क्रिसमस के दौरान लोग लंबी छुट्टियों पर होते हैं और ईसाई समाज की परंपरा के अनुसार एक-दूसरे को गिफ्ट देते हैं। ये गिफ्ट अगले दिन खोले जाते हैं, इसी वजह से 26 दिसंबर को यह दिन बॉक्सिंग-डे के रूप में पहचाना जाता है।
क्रिकेट में बॉक्सिंग-डे शब्द की एंट्री
क्रिकेट में बॉक्सिंग-डे शब्द पहली बार साल 1892 में सामने आया। उस समय ऑस्ट्रेलिया में घरेलू क्रिकेट सीजन खेला जा रहा था और क्रिसमस के अगले दिन भी मुकाबले आयोजित किए गए थे। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहला बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच साल 1950 में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया था। इसके बाद साल 1974-75 में एशेज सीरीज के दौरान क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच की परंपरा शुरू की। इस परंपरा के तहत 26 दिसंबर को मैच का पहला दिन मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर खेला जाता है।
मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड का महत्व
मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड का बॉक्सिंग-डे टेस्ट में विशेष महत्व है। इसका कारण यहां दर्शकों की विशाल संख्या है। MCG में लगभग एक लाख लोग स्टेडियम में बैठकर मैच का आनंद ले सकते हैं। यही वजह है कि बॉक्सिंग-डे टेस्ट हमेशा इस ऐतिहासिक मैदान पर आयोजित किया जाता है।
ऑस्ट्रेलिया का शानदार रिकॉर्ड
बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई टीम का रिकॉर्ड बेहद शानदार रहा है। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर अब तक ऑस्ट्रेलिया ने कुल 117 मुकाबले खेले हैं, जिनमें से 68 मैचों में जीत हासिल की और 32 मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा। साल 2000 से ऑस्ट्रेलिया का एमसीजी में प्रदर्शन विशेष रूप से प्रभावशाली रहा है। इस दौरान 25 मैचों में से 19 में जीत दर्ज की गई, जबकि केवल 4 मुकाबलों में हार मिली। इनमें से 2 हार मुकाबले भारत के खिलाफ हुए थे।