जालन्धर : नागपुर के विदर्भ क्रिकेट स्टेडियम में हुए रणजी ट्रॉफी फाइनल मुकाबले में विदर्भ ने सौराष्ट्र को हराकर लगातार दूसरी बार ट्रॉफी अपने नाम की। जीत के साथ ही विदर्भ के बल्लेबाज वसीम जाफर ने भी एक बड़ा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। 41 साल के जाफर का यह 10वां रणजी फाइनल था। इतने फाइनल तो कभी भारत के सबसे महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर भी खेल नहीं पाए थे। बता दें कि सबसे ज्यादा बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जीत का हिस्सा रहने का रिकॉर्ड अभी अशोक मांकड़ के नाम है। जो 12 बार रणजी ट्रॉफी को चूम चूके हैं। इसके बाद अजित वाडेकर 11, मनोहर हार्दीकर, दिलिप सरदेसाई 10-10 बार का नाम आता है।
विदर्भ ने हासिल की 78 रनों से जीत
भारतीय घरेलू क्रिकेट के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी 2018-19 के खिताब को विदर्भ ने सौराष्ट्र की टीम को 78 रन से हराकर अपने नाम किया। विदर्भ ने पहली पारी में अक्षय करनेवर की 73 रनों की बदौलत 312 रन बनाए थे। जवाब में सौराष्ट्र ने 307 रन बनाए। 5 रनों की लीड के साथ दूसरी पारी में खेलनी उतरी विदर्भ टीम महज 200 रनों पर ही सिमट गई। अब सौराष्ट्र को जीत के लिए केवल 206 रन बनाए थे जबकि उनकी पारी 127 रनों पर ही ऑल आऊट हो गई। विदर्भ के आदित्य सरवटे को उनके 11 विकेटों के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।
वसीम जाफर पहले खेलते थे मुंबई के लिए
वसीम पिछले दो सालों से विदर्भ की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलते आ रहे हैं। इससे पहले वह मुंबई के लिए खेलते थे। विदर्भ के लिए अच्छी बात यह रही कि जबसे जाफर उनके साथ जुड़े उनकी टीम लगातार दो फाइनल जीत गई। दसवां फाइनल खेलने की अपनी उपलब्धि पर जाफर ने कहा- 10वां फाइनल खेलना कोई छोटी बात नहीं होती है। चन्द्रकांत पंडित मुझे मुंबई से विदर्भ ले आए और उन्होंने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया। मैं केवल क्रिकेट खेलना जानता हूं और मैं इसे जाने नहीं देना चाहता हूं।