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मुंबई/गुवाहाटी : सूर्यकुमार यादव ने लगभग तीन साल में अपना पहला रणजी ट्रॉफी मैच खेलते हुए 80 गेंद में 90 रन की धमाकेदार पारी खेली जबकि कप्तान अजिंक्य रहाणे और यशस्वी जायसवाल ने शतक जड़े जिससे मुंबई ने मंगलवार को यहां हैदराबाद के खिलाफ रणजी ट्रॉफी ग्रुप बी मैच के पहले दिन तीन विकेट पर 396 रन बनाए। पिछले 12 महीने में सीमित ओवरों के प्रारूप में संभवत: भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज सूर्यकुमार ने लाल गेंद के क्रिकेट में भी उसी आक्रामकता का नजारा पेश किया जिसके लिए वह छोटे प्रारूपों में जाने जाते हैं। 

उन्होंने अपनी पारी में 15 चौके और एक छक्का मारा। पिछला प्रथम श्रेणी मैच फरवरी 2020 में खेलने वाले सूर्यकुमार भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने की इच्छा कई बार जाहिर कर चुके हैं। सलामी बल्लेबाज जायसवाल ने भी अपनी शानदार फार्म जारी रखते हुए 195 गेंद में 162 रन की पारी खेली। रहाणे स्टंप के समय 139 रन बनाकर खेल रहे थे। बीकेसी मैदान पर हैदराबाद ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया और पृथ्वी शाॅ (19) को जल्द पवेलियन भेजा। यशस्वी ने इसके बाद सूर्यकुमार के साथ दूसरे विकेट के लिए 153 और रहाणे के साथ तीसरे विकेट के लिए 206 रन की साझेदारी करके मुंबई को मजबूत स्थिति में पहुंचाया। दूसरी तरफ दिल्ली ने ध्रुव शोरे के आठवें प्रथम श्रेणी शतक की मदद से असम के खिलाफ सात विकेट पर 271 रन बनाए। खराब रोशनी के कारण जब दिन का खेल नौ ओवर पहले खत्म करना पड़ा तब शोरे 216 गेंद में 139 रन बनाकर खेल रहे थे। 

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असम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया और जल्द ही दिल्ली का स्कोर चार विकेट पर 74 रन कर दिया। सलामी बल्लेबाज अनुज रावत सिर्फ दो रन बनाकर मृणमॉय दत्ता की गेंद पर पगबाधा हुए। शोरे और कप्तान यश धुल (22) ने टीम का स्कोर 50 रन के पार पहुंचाया लेकिन आकाश सेनगुप्ता ने धुल को विकेटकीपर के हाथों कैच कराके इस साझेदारी को तोड़ दिया। अनुभवी नितीश राणा (00) और हिम्मत सिंह (03) भी अधिक देर नहीं टिक सके जिससे दिल्ली की टीम संकट में घिर गई। शोरे को इसके बाद वैभव रावल (43) के रूप में उम्दा जोड़ीदार मिला। दोनों ने पांचवें विकेट के लिए 103 रन की साझेदारी की। महाराष्ट्र के खिलाफ टूर्नामेंट का पहला मैच गंवाने वाली दिल्ली की टीम ने चोटिल तेज गेंदबाजों इशांत शर्मा और मयंक यादव की गैरमौजूदगी में कमजोर टीम उतारी है। टीम को हर्षित राणा, प्रांशु विजयरन और स्पिनर ऋतिक शौकीन को पदार्पण कराने के लिए बाध्य होना पड़ा।