पेरिस : फलस्तीन के ओलंपिक दल का यहां पहुंचने पर लोगों ने तालियों और तोहफों के साथ स्वागत किया और तोहफों में खाने का सामान और गुलाब के फूल शामिल थे। पेरिस हवाई अड्डे से बाहर निकलकर फलस्तीन के खिलाड़ियों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अब तक 39000 फलस्तीनियों की जान ले चुके इस्राइल-हमास युद्ध के बीच उनकी मौजूदगी संकेत की तरह होगी।
खिलाड़ियों, फ्रांस के समर्थकों और राजनीतिज्ञों ने यूरोपीय देशों से फलस्तीन को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने का अनुरोध किया है। कइयों ने ओलंपिक में इस्राइली खिलाड़ियों के खेलने पर नाराजगी जताई है जिन्होंने इस्राइल पर युद्धापराध और मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप लगाये हैं।
सउदी अरब में जन्मे 24 वर्ष के फलस्तीनी तैराक याजान अल बवाब ने कहा, ‘फ्रांस फलस्तीन को एक राष्ट्र नहीं मानता इसलिए मैं यहां फलस्तीन का झंडा लहराने आया हूं। हमारे साथ इंसान की तरह बर्ताव नहीं होता इसलिए हम यहां खेलने आए हैं ताकि लोग हमें बराबरी का समझे।'
इतिहास
फिलिस्तीन ओलंपिक समिति (पीओसी) को 1995 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई थी। तब से फिलिस्तीन ओलंपिक खेलों में स्वतंत्र रूप से भाग लेने में सक्षम है।
उपलब्धियां
फिलिस्तीनी एथलीटों ने अभी तक ओलंपिक खेलों में पदक नहीं जीते हैं, लेकिन उनकी भागीदारी को ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह फिलिस्तीन में खेलों के विकास का प्रतीक है और उनके एथलीटों को उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
चुनौतियां
फिलिस्तीनी एथलीटों को क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के कारण अनूठी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें आवागमन पर प्रतिबंध, प्रशिक्षण सुविधाओं में कठिनाइयां और वित्तपोषण संबंधी समस्याएं शामिल हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, फिलिस्तीनी एथलीट अपने-अपने खेलों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना जारी रखते हैं।