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नई दिल्लीः  विराट कोहली ने अपने 10 साल के क्रिकेट करियर में अब तक कई उपलब्धियों को हासिल किया है। लेकिन उन्होंने जिस बात को ठानकर दुनियाभर भर में नाम कमाया, वो थी अपने पिता की ख्वाहिश पूरी करने की। इतने कम समय में किसी खेल की ऊंचाइयों तक पहुंचने का काम कोहली जैसी मानसिकता के खिलाड़ी ही कर सकते हैं, जिन्हें पिता की मृत्यु भी लक्ष्य से भटका नहीं सकी। उनके पिता उन्हें आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे। हाल ही में नेशनल जियोग्राफिक को दिए एक साक्षात्कार में विराट कोहली ने अपने पिता के निधन की रात को याद करते हुए कहा उन्होंने आखिरी सांस मेरी बाहों में ली थी।

पिता की माैत से पहले कोई भी सहायता नहीं मिली
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कोहली ने बताया कि पिता की माैत के कुछ समय बाद मैं खेलने गया। मैं उस समय दिल्ली की तरफ से रणजी ट्रॉफी क्रिकेट मैच खेल रहा था। मैं 40 रन बनाकर नाबाद था। अगले दिन मुझे खेलने जाना था। लेकिन सुबह 3 बजे अचानक मेरे पिता की तबीयत बिगड़ गई। पिता जी की तबीयत खराब होने के बाद हमें किसी तरह की सहायता नहीं मिली। हमने पड़ोसियों से सहायता मांगने की कोशिश की। हम जिस भी डॉक्टर को जानते थे, उससे मदद लेने की कोशिश की, लेकिन वो रात का ऐसा समय था कि कहीं से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जब तक एम्बुलेंस आता, सब कुछ खत्म हो चुका था। 

जो भी हूं पिता की बदाैलत हूं
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि उनके (पिता के निधन) जाने के बाद मेरे जीवन में एकाग्रता और बढ़ गई। मैं और कुछ भी नहीं करना चाहता था, सिर्फ अपने और अपने पिता के सपने को सच करने में मैंने सारी ऊर्जा लगा दी। आज मैं जो भी हूं, उनकी बदौलत ही हूं। बता दें कि पिता की मौत के बाद उनके अधिकांश साथियों को उम्मीद नहीं थी कि वे मैदान पर फिर आएंगे। लेकिन कोहली मैदान में पहुंचे और 90 रन बनाकर दिल्ली को फॉलो ऑन से बचा लिया।

सचिन तेंदुलकर (1997-98) और महेंद्र सिंह धोनी (2007) के बाद, मौजूदा भारतीय कप्तान कोहली प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार प्राप्त करने वाले तीसरे क्रिकेटर बन गए हैं। विराट कोहली आज युवा पीढ़ी के लिए एक आइडियल हैं। विराट कोहली वर्तमान में दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक हैं।