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जालन्धर (जसमीत) : भारतीय क्रिकेट टीम ने 1952 में जब अपना पहला टेस्ट खेला था तो इसकी कप्तानी की थी सीएके नायडू ने। नायडू की आज 124वीं जन्म शताब्दी है। 31 अक्तूबर 1895 को नागपुर में जन्मे नायडू की पूरा नाम कोटरी कनकइया नायडू है। उन्हीं 1926 में बॉम्बे जिमखाना मैदान पर खेले गए टेस्ट मैच में 11 छक्के लगाने के कारण जाना जाता है। नायडू ने इस मैच में 116 मिनट में ही 153 रन बना दिए थे। कमाल की बात यह थी कि इन 153 रनों के लिए उन्होंने 11 छक्के लगाए थे।

मैच के दौरान नायडू द्वारा बाब व्हाइट की गेंद पर लगाया गया छक्का खूब चर्चा में रहा था। इसमें गेंद जिमखाना क्लब की छत्त पर जा गिरी थी। नायडू के इस शॉट से खुश होकर बाद में एमसीसी ने उन्हें सिल्वर बैट भी गिफ्ट किया था। 1956 में उन्हें पदमविभूषण भी मिला था। 

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यहीं नहीं, एक घरेलू मैच के दौरान नायडू के मुंह में गेंद लगने के कारण उनका दांत टूट गया था। दांत टूटने के बावजूद नायडू क्रीज पर डटे रहे। उन्होंने बेहतरीन पारी भी खेली।  इस घरेलू मैच में नायडू भारतीय टीम के आलराउंडर दत्तू फडकर की बाउंसर का शिकार हुए थे। दत्तू की गेंद नायडू के जबड़े में लगी थी, जिसके कारण उनके दो दांत टूट गए थे। उनके दो दांत नीचे गिर गए आैर खून से लहुलुहान हो गए। फिल्डिंग कर रहे माधव आप्टे भागकर उनके पास आए आैर उन्हें आराम लेने को कहा, लेकिन नायडू ने मना कर दिया। 

जेब में डाल लिए दोनों टूटे दांत
इसके बाद नायडू ने अपने दोनों दांतों को रुमाल से उठाया आैर जेब में डाल लिया। उनके मुंह से खून निकलना थम नहीं रहा था लेकिन बावजूद इसे नायडू ने तेज पारी खेली। उन्होंने फिफ्टी लगाई, आैर ऐसा जबरदस्त खेले कि दो दांत टूटने के बावजूद भी 2 छक्के लगाए। 
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ऐसा रहा नायडू का क्रिकेट करियर
31 अक्टूबर 1895 को नागपुर में जन्मे भारत के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू ने अपने करियर में 7 टेस्ट खेले, जिसकी 14 पारियों में उन्होंने 350 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 2 अर्धशतक भी जड़े। इतना ही नहीं नायडू ने गेंदबाजी में भी हाथ आजमाया और 9 विकेट छटकाए। इस खिलाड़ी ने अपना डेब्यू मैच सन् 1932, जबकि आखिरी मैच सन् 1936 में खेला था।