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गोल्ड कोस्टः आस्ट्रेलियाई विरासत और परंपरा के अछ्वुत संगम का गवाह रहे रंगारंग उद्घाटन समारोह के साथ समुद्र तट पर बसे इस खूबसूरत शहर में आज 21 वें राष्ट्रमंडल खेल शुरू हो गए लेकिन राष्ट्रमंडल के विचार के खिलाफ यहां मूल निवासियों का विरोध औपनिवेशिक क्रूरता की मार्मिक याद भी दिला गया। विडंबना देखिये कि समारोह का मुख्य विषय आस्ट्रेलियाई मूल निवासियों( एबोरिजिनल) की विरासत रही। बादलों से घिरे आकाश और बीच बीच में रिमझिम बारिश के बीच यह समारोह दो घंटे से भी अधिक समय तक चला। उदघाटन समारोह में ब्रिटिश रायल्स ने हिस्सा लिया और उनकी मौजूदगी में गोल्ड कोस्ट ने राष्ट्रमंडल से जुड़े 71 देशों के खिलाडिय़ों का दिल खोलकर स्वागत किया।           

भारतीय दल की अगुवाई ओलंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधू ने की जो भारतीय ध्वजवाहक थी। जब भारतीय दल ने स्टेडियम में कदम रखा तो 25 हजार दर्शकों ने तालियों की गडग़ड़ाहट के बीच उनका स्वागत किया। यह खेलों का मुख्य स्टेडियम हैं जहां एथलेटिक्स की स्पर्धाएं भी होंगी। भारतीयों ने परंपरा के बजाय आरामदायक पोशाक को तवज्जो दी। उन्होंने परंपरागत साड़ी और बंदगला के बजाय ब्लैजर्स और पैंट में मार्च पास्ट किया। लेकिन स्टेडियम के अंदर का रंगारंग समारोह यहां के मूल निवासियों के विरोध प्रदर्शन को पूरी तरह से नहीं दबा पाया जिन्होंने नारे लगाए और शहर के स्पिट एरिया में लगभग एक घंटे तक क्वीन्स बैटन रिले रोके रखी। यह विरोध प्रदर्शन ब्रिटिश राज के दौरान की क्रूरता के खिलाफ किया गया। उनका कहना है कि देश का राष्ट्रमंडल के साथ कोई लेना देना नहीं होना चाहिए। 
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तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ प्रिंस चार्ल्स का हुआ स्वागत
समारोह की शुरूआत मेहमानों के स्वागत से हुई जिसमें दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिली। समारोह में महारानी के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित प्रिंस चार्ल्स ने खेलों के शुरूआत की घोषणा की। उन्होंने इससे पहले कहा, ‘‘ यह बहुत अच्छा है कि राष्ट्रमंडल खेलों को मैत्री खेलों के रूप में जाना जाता है तथा विश्व में सबसे मित्रतापूर्ण व्यवहार करने वाले देश ने खेल आयोजन के लिए हमें अपने देश में आमंत्रित किया है।’’ प्रिंस चार्ल्स अपनी पत्नी कैमिला पारकर वोल्स के साथ जब परेड स्थल पर पहुंचे तो तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया गया। रायल जोड़ा आज सुबह ही ब्रिस्बेन पहुंचा था।
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समारोह की बात करें तो इसमें आस्ट्रेलियाई इतिहास विशेषकर यहां के मूल निवासियों की विरासत को बेहतरीन तरीके से पेश किया गया। यहां के मूल निवासियों को ब्रिटिश राज के दौरान सबसे अधिक यातनाएं सहनी पड़ी थी। सबसे पहले एक आदिवासी परिवार मुख्य स्थल पर पहुंचा। इसमें डेलेवेन कोकाटू कोलिन्स भी शामिल थे जिन्होंने इन खेलों के पदक डिजाइन किए हैं। उनकी भतीजी इसाबेला ग्राहम ने उलटी गिनती शुरू की जो 65 हजार वर्षों से शुरू हुई।  जब उलटी गिनती समाप्त हुई तो नीले रंग की आतिशबाजी की गयी जो हमारी धरती का प्रतिनिधित्व कर रही थी। इसके बाद आस्ट्रेलिया के भूत, वर्तमान और भविष्य का काल्पनिक समारोह देखने को मिला।           
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इसकी शुरूआत उस समय से हुई जब आस्ट्रेलिया महाद्वीप अंटार्कटिका से जुड़ा था। इसका प्रतिनिधित्व सफेद रंग की व्हेल मिगालू ने किया जो लगभग हर वर्ष 12 हजार किमी की यात्रा करके अंटार्कटिका से उत्तरी क्वीन्सलैंड में बच्चों को जन्म देने के लिये आती है। समारोह का दिल छूने वाला क्षण बचपन में प्रताडऩा झेलने वाले डेमियन राइडर का मशाल अपने हाथ मेंलेना था। इसके बाद ही मशाल करारा स्टेडियम में पहुंची। राइडर बच्चों पर अत्याचार के खिलाफ मुहिम छेडऩे में सबसे आगे रहे हैं। इस बीच बारिश भी होती रही लेकिन इससे आस्ट्रेलियाई दर्शकों का उत्साह कम नहीं हुआ जिन्होंने परेड में भाग लेने वाले सभी 71 देशों के खिलाडिय़ों का दिल खोलकर स्वागत किया। पिछले राष्ट्रमंडल खेलों(2014) का मेजबान होने के कारण स्काटलैंड सबसे पहले परेड के लिए आया जबकि वर्तमान मेजबान आस्ट्रेलिया का दल सबसे बाद में स्टेडियम में पहुंचा। आस्ट्रेलियाई ध्वजवाहक मार्क नोल्स थे जो वहां की पुरूष हाॅकी टीम के कप्तान हैं। बाद में सच्ची खेल भावना के साथ खेलों में भाग लेने की खिलाडिय़ों की शपथ दिलायी गयी। राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समित के चेयरमैन ने पीटर बैथी ने सभी का आस्ट्रेलिया, क्वींसलैंड और गोल्ड कोस्ट में स्वागत किया।