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जालन्धर : फीफा विश्व कप शुरू होने से पहले मॉस्को में जनजीवन बिल्कुल आम था। हर कोने पर छोटी-छोटी दुकानें, सड़कों पर घूमते आवारा जानवर और स्टेशन के बाहर खड़े भिखारी। लेकिन अब जब विश्व कप शुरू हो जाता है तो मॉस्को की तस्वीर कुछ बदली-बदली सी नजर आ रही है। न तो इस शहर में कोई आवारा जानवर दिखता है और न ही भिखारी। यहां तक कि सड़कों पर लगने वाली रेहडिय़ां या छोटी दुकानें भी नहीं नजर आती। मॉस्को में रहते भारतीय मूल के लोगों का कहना है कि यह है तो हैरानी भरा लेकिन है बिल्कुल सच। भिखारियों को तो छोड़ो गलियों में कुत्ते और बिल्लियां भी नहीं दिख रही जिनकी कुछ दिन पहले तक भरमार होती थी।

शहर से अचानक भिखारियों के गायब होने पर बीते दिनों एक संगठन जागरूक हुआ। यह वह संगठन था जो रोजाना जरूरतमंदों को खाना खिलाता था। संगठन के सदस्यों ने देखा कि दिन ब दिन खाना खाने वाले लोगों की संख्या में कमी आ रही है। उन्होंने छानबीन की तो पता चला है कि सरकार के आदेशों पर मेयर ने सारा शहर भिखारी मुक्त बनाया है। संगठन के लोगों को चिंता थी कि इन जरूरतमंदों में कई गंभीर बीमार भी थे। वह कहां है जिंदा है भी या नहीं, इसकी भी किसी को कोई खबर नहीं। वह जब शहर के मेयर से मिलने गए तो उनके इस बयान पर कि एक महीने यह खाना नहीं खाएंगे तो मर नहीं जाएंगे पर खूब बवाल हुआ। संगठन सदस्यों ने नारों के साथ धरने भी लगाए।

बताया जा रहा है कि सरकार ने विदेशी सैलानियों को अपने शहर की अच्छी छवि दिखाने के लिए गुपचुप तरीके से एक कंपनी को यह ठेका दिया था। उक्त कंपनी ने इस काम के लिए मोटी रकम वसूली और रातो-रात गलियों से छोटी दुकानें उठाने के साथ-साथ कुत्ते-बिल्लियां भी साथ ले गए। बेघर लोगों को भी शहर से दूर एक अनजान जगह पर टैंट बनाकर दिए गए हैं।