दिव्या देशमुख और वन्तिका अग्रवाल: भारतीय शतरंज में स्वर्णिम भविष्य की नई उम्मीदें
बुडापेस्ट, हंगरी (निकलेश जैन)- भारतीय शतरंज की दुनिया में दिव्या देशमुख और वन्तिका अग्रवाल ने 45वें फीडे विश्व शतरंज ओलंपियाड में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से भारत को महिला वर्ग में स्वर्ण पदक जिताया और अपने नाम व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दर्ज किए। उनके असाधारण खेल ने न केवल भारत को गौरव प्रदान किया बल्कि शतरंज की दुनिया में भी उनकी अलग पहचान बनाई है।
दिव्या देशमुख: तीसरे बोर्ड पर अद्भुत प्रदर्शन
दिव्या देशमुख ने तीसरे बोर्ड पर 11 राउंड में 9.5 अंकों के साथ स्वर्ण पदक जीता। उनका खेल पूरे टूर्नामेंट के दौरान बेहतरीन रहा, जहां उन्होंने अपनी सूझबूझ और शतरंज के गहरे ज्ञान का प्रदर्शन किया। फाइनल राउंड में, उन्होंने अजरबैजान की गोवहार बी को मात देते हुए भारत को निर्णायक बढ़त दिलाई। दिव्या का यह प्रदर्शन उन्हें भारतीय महिला शतरंज की नई स्टार के रूप में उभार रहा है।
दिव्या अब लाइव महिला विश्व रैंकिंग में 2500 अंकों के साथ 11वें स्थान पर पहुंच गई हैं, जो उनके करियर का अब तक का सबसे बड़ा माइलस्टोन है। वह अब हम्पी कोनेरू के बाद भारत की दूसरी सबसे उच्च रेटेड खिलाड़ी बन चुकी हैं, जो भारतीय शतरंज के भविष्य के लिए एक बड़ा संकेत है।
वन्तिका अग्रवाल: चौथे बोर्ड की चैंपियन
वन्तिका अग्रवाल ने चौथे बोर्ड पर 9 राउंड में 7.5 अंक बनाकर स्वर्ण पदक जीता। फाइनल राउंड में उन्होंने अजरबैजान की खनिम बालजाएवा को हराते हुए भारत को 3-0 से आगे कर दिया और स्वर्ण पदक के सफर को सुनिश्चित किया। वन्तिका का शांत और संयमित खेल हर मुकाबले में उनके अनुभव और उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है।
उनकी यह जीत भारतीय महिला शतरंज के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उनके खेल ने दिखाया कि वह भविष्य में और भी बड़े मंचों पर सफलता हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।