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नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 के दायरे में आएगा जिसे संसद के चालू मानसून सत्र में पेश किया जाना है। खेल मंत्रालय के सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। BCCI समेत सभी महासंघों के लिए राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक (NSP) के दायरे में आना अनिवार्य होगा। बीसीसीआई एकमात्र प्रमुख खेल संस्था थी जो सरकारी नियमों के दायरे में नहीं आती थी। 

इससे यह भी सवाल उठता है कि क्या बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी इस पद पर बने रहेंगे क्योंकि बीसीसीआई का संविधान पदाधिकारियों को 70 वर्ष की आयु तक पद पर बने रहने की अनुमति देता है जो 1983 विश्व कप विजेता बिन्नी 19 जुलाई को 70 वर्ष के हो गए लेकिन सितंबर में होने वाली वार्षिक आम बैठक के साथ, यह देखना बाकी है कि क्या वह शीर्ष पद पर बने रहेंगे या वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला कार्यभार संभालेंगे। 

अक्टूबर 2024 से प्रक्रियाधीन इस विधेयक का उद्देश्य सुशासन प्रथाओं के माध्यम से खेलों के विकास और संवर्धन, खिलाड़ियों के लिए कल्याणकारी उपायों, खेलों में नैतिक प्रथाओं और उनसे जुड़े या प्रासंगिक मामलों का प्रावधान करना है। यह खेल महासंघों के संचालन के लिए संस्थागत क्षमता और विवेकपूर्ण मानकों को स्थापित करने के लिए भी जिम्मेदार होगा, जो ओलंपिक और खेल आंदोलन के सुशासन, नैतिकता और निष्पक्ष खेल के बुनियादी सार्वभौमिक सिद्धांतों, ओलंपिक चार्टर, पैरालंपिक चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं और स्थापित कानूनी मानकों पर आधारित होंगे। 

विधेयक में खेल संबंधी शिकायतों और खेल विवादों के एकीकृत, न्यायसंगत और प्रभावी तरीके से समाधान के उपाय स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। विधेयक का उद्देश्य NSP के माध्यम से 10 समस्याओं का समाधान करना भी है जिसमें राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) में अपारदर्शी शासन, निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना होगा। 

शासन में एथलीटों के प्रतिनिधित्व का अभाव : एथलीट समितियों के माध्यम से एथलीटों को शामिल करना और उत्कृष्ट योग्यता वाले खिलाड़ियों (एसओएम) का प्रतिनिधित्व अनिवार्य करता है। 

NSF चुनावों पर बार-बार मुकदमेबाजी : अदालती मामलों को कम करने के लिए स्पष्ट चुनावी दिशानिर्देश और विवाद समाधान तंत्र स्थापित करता है। 

अनुचित या अपारदर्शी एथलीट चयन : चयन मानदंडों को मानकीकृत करता है और योग्यता-आधारित चयन सुनिश्चित करने के लिए परीक्षणों और परिणामों के प्रकाशन को अनिवार्य करता है।

उत्पीड़न और असुरक्षित खेल वातावरण : शिकायतों के लिए सुरक्षित खेल तंत्र, POSH अनुपालन और स्वतंत्र समितियों को अनिवार्य करता है।

शिकायत निवारण चैनलों का अभाव : एथलीटों, प्रशिक्षकों और हितधारकों के लिए समर्पित, समयबद्ध शिकायत निवारण प्रणालियां स्थापित करता है। 

एथलीटों के करियर को नुकसान पहुंचाने वाली लंबी कानूनी देरी : विवादों को शीघ्रता से सुलझाने के लिए फास्ट-ट्रैक मध्यस्थता या न्यायाधिकरण प्रणाली शुरू करता है। 

आयु हेरफेर और डोपिंग : कानूनी दायित्वों के रूप में सख्त सत्यापन, बायोमेट्रिक सिस्टम और एंटी-डोपिंग अनुपालन को लागू करता है। 

अधिकारियों के बीच हितों का टकराव : हितों के टकराव के नियमों की स्पष्ट परिभाषाएं और प्रवर्तन शुरू करता है।

NSF और IOA के लिए कोई समान संहिता नहीं : सभी खेल निकायों को एकीकृत शासन संहिता और पात्रता मानदंड के अंतर्गत लाया गया।