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नई दिल्ली : सिर्फ एक ओलंपिक पदक किसी खेल को बढ़ावा देने के लिए काफी है और अगर यह स्वर्ण पदक हो तो फिर सोने पर सुहागा है। तीन साल पहले तोक्यो खेलों में भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक के बाद भारत में इस ओलंपिक चक्र में ट्रैक एवं फील्ड के खिलाड़ियों को सरकारी कोष में सबसे बड़ा हिस्सा मिला है। 

भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के मिशन ओलंपिक सेल (एमओसी) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सरकार ने एथलेटिक्स पर 96 करोड़ आठ लाख रुपए खर्च किए। इस बार 16 खेलों के लिए भारत की तैयारियों पर लगभग 470 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। पिछले ओलंपिक चक्र में टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) के तहत एथलेटिक्स पर पांच करोड़ 38 लाख रुपये खर्च किए गए थे। 

26 जुलाई से शुरू हो रहे पेरिस खेलों में चोपड़ा की अगुआई में 28 सदस्यीय एथलेटिक्स दल भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। भारतीय दल में कुल 118 खिलाड़ी शामिल हैं। सूत्रों ने कहा है कि पिछली बार सात पदक को देखते हुए इस बार उम्मीदें अधिक है और इसलिए इस बाद खर्च अधिक किया गया है। देश के बैडमिंटन खिलाड़ियों सर्वाधिक अनुदान हासिल करने के मामले में दूसरे स्थान पर रहे। 

बैडमिंटन खिलाड़ियों को 72.02 करोड़ रुपए मिले जबकि इसके बाद मुक्केबाजी (60.93 करोड़) और निशानेबाजी (60.42 करोड़) का नंबर आता है। भारत ने पेरिस खेलों के लिए बैडमिंटन में पांच कोटा हासिल किए हैं। इसमें दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधू (महिला एकल), एचएस प्रणय और लक्ष्य सेन (पुरुष एकल), सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी (पुरुष युगल) और अश्विनी पोनप्पा तथा तनीषा क्रास्टो (महिला युगल) शामिल हैं। 

तोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता भारतीय पुरुष टीम को पिछले तीन साल में 41.29 करोड़ रुपए की राशि मिली जबकि तीरंदाजी पर सरकार ने 39.18 करोड़ रुपए खर्च किए। पहलवानों को कोष से 37.80 करोड़ रुपए मिले जबकि भारोत्तोलन के खाते में 26.98 करोड़ रुपए आए। घुड़सवारी को 95 लाख रुपए के साथ सबसे कम वित्तीय सहायता मिली। टेनिस को एक करोड़ 67 लाख रुपए जबकि गोल्फ को एक करोड़ 74 लाख रुपये की मदद मिली। नौकायन (3.89 करोड़), तैराकी (3.9 करोड़), पाल नौकायन (3.78 करोड़) और जूडो (6.3 करोड़) पर भी 10 करोड़ रुपये से कम खर्च हुए। 

स्टार खिलाड़ी अचंता शरत कमल की अगुआई वाली भारतीय टेबल टेनिस टीम को सरकार ने 12 करोड़ 92 लाख रुपए की वित्तीय सहायता दी। ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में सिंधू के साथ शरत कमल भारत के ध्वजवाहक होंगे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार विदेश में अनुभव और टूर्नामेंट के मामले में देश के बैडमिंटन खिलाड़ियों को सबसे अधिक समर्थन मिला। उन्होंने 81 दौरे किए। 

निशानेबाजों को 45 विदेशी दौरे मिले जबकि इसके बाद टेनिस (40), एथलेटिक्स (31), टेबल टेनिस (28), कुश्ती (27), तीरंदाजी (24), मुक्केबाजी (23), नौकायन (22), हॉकी (18), जूडो (15), गोल्फ (12) और तैराकी (11) का नंबर आता है। पिछले तीन वर्षों के दौरान निशानेबाजी में 41 राष्ट्रीय शिविर आयोजित किए गए जो सभी 16 खेलों में सबसे अधिक है। तीरंदाजी 41 शिविर के साथ दूसरे स्थान पर है। 

इसके बाद एथलेटिक्स (36), हॉकी (33), मुक्केबाजी (17), नौकायन (16), कुश्ती (15) और बैडमिंटन (13) का नंबर आता है। घुड़सवारी के लिए कोई राष्ट्रीय शिविर नहीं था क्योंकि अधिकांश सवार विदेश में प्रशिक्षण लेते हैं। गोल्फ के लिए केवल एक शिविर आयोजित किया गया था। पेरिस जाने वाले एक हॉकी खिलाड़ी ने कहा, ‘हमें बेंगलुरू के साइ में भोजन से लेकर आवास, जिम और ट्रेनिंग सहित सर्वोत्तम सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। हम लंबे समय से यहां रह रहे हैं। हमें विदेशों में भी बहुत सारे दौरे मिल रहे हैं।' 

व्यक्तिगत और विशिष्ट खेल संबंधित खर्चे में भारतीय हॉकी टीम को सर्वाधिक 41.81 करोड़ रुपए मिले जिसमें 76 राष्ट्रीय शिविर और 19 विदेशी दौरों का खर्च शामिल है। चोपड़ा इस सूची में 5.72 करोड़ रुपए के साथ दूसरे स्थान पर है। यह खर्चा उनके मौजूदा विदेशी कोच डॉ. क्लॉस बार्टोनिट्ज की सेवाएं लेने, यूरोप में ओलंपिक पूर्ण शिविर तथा यूरोप, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने पर किया गया।