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स्पोर्ट्स डेस्क: विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल में भारतीय टीम की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार प्रशंसकों और कई पूर्व खिलाड़ियों को रास नहीं आई। भारत की फाइनल में हार के बाद टीम चयन को लेकर रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ की आलोचना की गई थी। डब्लयूटीसी फाइनल में अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को प्लेइंग इलेवन से बाहर करने के फैसले की भी काफी आलोचना हुई और इसके अलावा सपाट पिच पर पहले गेंदबाजी करने के कप्तान रोहित के फैसले पर सवाल उठाए गए।

इस मैच का विश्लेषण करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को फाइनल में थोड़ा फायदा हुआ था। उन्होंने कहा, "ऑस्ट्रेलियाई टीम को बधाई। डब्लयूटीसी फाइनल शानदार था और वे खिताब के हकदार थे। मार्नस लाबुशेन जैसे कुछ खिलाड़ियों ने काउंटी क्रिकेट में कुछ मैच खेले थे। यह एक छोटा सा फायदा ऑस्ट्रेलियाई टीम के पास थ। यह नहीं कहा जा सकता कि कौन क्या करेगा, लेकिन ऑस्ट्रेलिया  इसका हकदार था।"

धोनी पूरे साल 15 खिलाड़ियों को ही चुनते थे : अश्विन

भारत ने आखिरी बार आईसीसी ट्रॉफी 2013 में एमएस धोनी की कप्तानी में जीत थी। इसके बाद से भारत 4 बार आईसीसी फाइनल मुकाबलों में हार चुका है। । अश्विन ने सोशल मीडिया पोस्ट पर अपने विचार साझा किए । उन्होंने बतौर कप्तान एमएस धोनी की सफलता के पीछे के बारे में खुलासा करते हुए अपने विचार साझा किए।

उन्होंने कहा, "यह समझ में आता है कि भारत में हंगामा है कि हमने पिछले 10 वर्षों में कोई भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती है। मुझे फैंस के प्रति सहानुभूति है, लेकिन सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं कि इस खिलाड़ी टीम से हटा दिया जाना चाहिए और उस खिलाड़ी को टीम में शामिल किया जाना चाहिए। किसी भी खिलाड़ी का प्रदर्शन रातोरात नहीं बदलता। हम में से बहुत से लोग  धोनी की कप्तानी के बारे में बात करते हैं। उन्होंने क्या किया, उन्होंने इस सब को बहुत सरल रखा। उनकी कप्तानी  में, जहां मैं भी खेला करता था। वह 15 खिलाड़ियों चुनते थे और उन्हीं 15 खिलाड़ियों में से और 11 खिलाड़ी पूरे साल खेलते थे। एक खिलाड़ी के लिए टीम में सुरक्षा की भावना बहुत महत्वपूर्ण है।"