Edited By Radhika,Updated: 22 Mar, 2024 11:04 AM
अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी संसद को भारत सरकार से आतंकवाद रोधी कानूनों समेत उन नीतियों तथा कानूनों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करना चाहिए जो प्रमुख मानवाधिकार संधियों की अभिपुष्टि के चलते प्राप्त उसके दायित्वों...
इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी संसद को भारत सरकार से आतंकवाद रोधी कानूनों समेत उन नीतियों तथा कानूनों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करना चाहिए जो प्रमुख मानवाधिकार संधियों की अभिपुष्टि के चलते प्राप्त उसके दायित्वों से ‘‘भिन्न'' हैं। कांग्रेस सदस्य जेम्स मैकगवर्न ने भारत में मानवाधिकारों पर संसद में सुनवाई के दौरान कहा कि भारत में अगले पांच साल के लिए देश की राजनीतिक दिशा तय करने के वास्ते 19 अप्रैल को आम चुनाव शुरू हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरा कार्यकाल हासिल की कोशिश में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन लोगों में से हूं जो सोचते हैं कि मित्रों को एक-दूसरे को कड़वी सच्चाई बतानी चाहिए। भारत एक मित्र है और अमेरिका के लिए यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि भारत समृद्ध हो। फिर भी एक वास्तविक खतरा है कि अगर मानवाधिकार हनन पर ध्यान नहीं दिया गया तो विविध समाजों में निहित तनाव खतरनाक संघर्ष में बदल सकता है और भारत के उज्ज्वल भविष्य को कमजोर कर सकता है।'' मैकगवर्न ने कहा, ‘‘मणिपुर राज्य में जातीय हिंदू और ईसाई समुदायों के बीच हाल की साम्प्रदायिक हिंसा महज एक उदाहरण है।
कांग्रेस को भारत सरकार से सही दिशा में कदम उठाने और आतंकवाद रोधी कानूनों समेत उन नीतियों तथा कानूनों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करना चाहिए जो प्रमुख मानवाधिकार संधियों की अभिपुष्टि के चलते प्राप्त उसके दायित्वों से ‘‘भिन्न'' हैं। ‘अमेरिकन बार एसोसिएशन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स' के कानूनी सलाहकार वारिस हुसैन ने बताया कि कांग्रेस को इन चिंताओं के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति को सीधे प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के लिए उन पर और अधिक मजबूती से दबाव बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ही हैं जिनके पास अपनी सरकार, पार्टी को उनकी ‘जहरीली बयानबाजी तथा उनके अपमानजनक कानूनों और नीतियों' के बारे में निर्देश देने की शक्ति है।''