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शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अक्सर देखने को मिलता है कि सनातन धर्म में हर तरह के धार्मिक कार्य या कहें मांगलिक कार्य में नारियल फोड़ा जाता है। नए घर में गृह प्रवेष हो, नई गाड़ी हो, नया बिजनेस हो, समस्त कार्यों को शुरू करने से पहले नारियल फोड़ा जाता है। मगर ऐसा क्यों होता है? इस बार में बहुत कम लोग जानते हैं। दरअसल सनातन धर्म में होने वाले सभी तरह के पूजा-पाठ और मंगल कार्यो में इसका उपयोग किया जाता, क्योंकि इसे सौभाग्य और समृद्धि की निशानी माना जाता है। भगवान गणेश को पूजा आदि में नारियल चढ़ाया जाता है, और इसे ही बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इसके अलावा नारियल को धरती के सबसे पवित्र फलों में से माना जाता है। यही कारण है कि इस फल को लोग भगवान को चढ़ाते हैं।

धार्मिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार ऋषि विश्वामित्र को नारियल का निर्माता माना जाता है। माना जाता है इसकी ऊपरी सख्त सतह इस बात की प्रतीक होती है कि किसी भी काम में सफलता हासिल करने के लिए आपको मेहनत करनी होती है।

तो वहीं दूसरी ओर नारियल की सतह बाहर से सख्त और अंदर से नर्म पानी वाला होता है। कहा जाता है यह पानी अधिक पवित्र होता है, जिसमें किसी तरह की कोई मिलावट नहीं होती। ज्योतिषी बताते हैं कि नारियल भगवान गणेश का सबसे पसंदीदा फल है। यही कारण है कि नया घर व नई गाड़ी लेने आदि पर नारियल फोड़ा जाता है। ताकि इसका पवित्र पानी चारों तरफ फैल सके और हर तरह की नकारात्मक शक्तियां दूर हों।

मांगलिक कार्यों में नारियल को फोड़ा शुभ होता है। कहा जाता है नारियल इंसान के शरीर को प्रदर्शित करता है और जब आप इसे तोड़ते हैं तो इसका मतलब कि आपने खुद को ब्रह्मांड में सम्मिलित कर लिया है। किंवदंतियों की मानें तो नारियल में मौजूद तीन चिन्ह, भगवान शिव की आंखें मानी जाती हैं।

संस्कृत भाषा में ‘श्रीफल’ कहा जाता है, जिसका अर्थ लक्ष्मी है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी के बिना कोई कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं होता, यही कारण है कि शुभ कार्यों में नारियल का इस्तेमाल आवश्यक होता है।

तो वहीं कहा जाता है कि संस्कृत भाषा में कल्पवृक्ष कहा जाता है, जो मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी करता है। इन्हें सभी कारणों के चलते पूजा आदि के दौरान नारियल को फोड़ने से साथ-साथ प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।