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जालंधर (जसमीत सिंह) : ब्राजील की सबसे बड़ी वूमैन वॉलीबाल सुपरलीग में इस बार 33 साल की टिफनी अब्रियू सबकी चर्चा का कारण बनी हुई हैं। दरअसल टिफनी दुनिया की पहली ट्रांसजैंडर हैं जोकि ब्राजील सुपरलीग में खेल रही हैं। टिफनी इससे पहले ब्राजील के लिए यूरोप में आयोजित विभिन्न वॉलीबाल टूर्नामैंट में बतौर मर्द हिस्सा ले चुकी हैं। बीते दिन उन्होंने वोली बौरू टीम की तरफ से खेलते हुए 25 पॉइंट बनाए, इसी कारण उनकी टीम ने पिनेरियोस को 3-1 से हरा दिया। टिफनी को उम्मीद है कि महान ब्राजील कोच जोस रोर्बटो उन्हें टोक्यो ओलिम्पिक में जरूर ले जाएंगे। तीन बार के ओलिम्पिक चैंपियन रोर्बटो ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके पास टिफनी को टीम में शामिल न करने का कोई कारण नहीं है। 

ब्राजील वॉलीबाल सुपरलीग में हुईं शामिल
मेरी मां अब भी मुझे मेरे पुराने नाम रोडरिगो से ही पुकारती हैं। मैं कभी उनके सामने नहीं टूटी क्योंकि मैंने उन्हें पहले ही अपने फैसले के बारे में बता दिया था। वह मुझे अब पहले से ज्यादा प्यार करती हैं। रही बात लोगों की तो लोग निंदा करेंगे ही लेकिन मेरा मानना है कि निंदा से रुकना नहीं बल्कि आगे बढऩा है।     
   -टिफनी अब्रियू

कभी पुरुषों की टीम में खेल जीते अवॉर्ड 
2012 तक ब्राजील, पुर्तगाल, फ्रांस, इंडोनेशिया, स्पेन, फ्रांस, हॉलैंड और बैल्जियम के विभिन्न वॉलीबाल टूर्नामैंट में बतौर पुरुष हिस्सा लेने के बाद एक समय टिफनी वॉलीबाल छोडऩे का मन बना चुकी थीं। तभी उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें अब महिला बन जाना चाहिए। 

इटली में उन्होंने सैक्स चेंज ऑपरेशन करवाया। अपने एजैंट के राह दिखाने पर उन्होंने वॉलीबाल के महिला वर्ग में खेलने का मन बनाया। क्योंकि यह नियम है भी नहीं कि ट्रांसजैंडर महिला लीग में हिस्सा ले नहीं सकती। इसी कारण मेरी वॉलीबाल सुपरलीग में एंट्री मुश्किल नहीं हुई। टिफनी ने कहा साल की शुरूआत में वह इटली की दूसरे दर्जे की टीम में भी खेलीं। लेकिन वहां मेरे फैसले को लोगों का समर्थन नहीं मिला। फैंस के अलावा मेरी टीम सदस्यों की निंदा का मुझे शिकार होना पड़ा। तब मैं वापस ब्राजील लौट आईं। एक पिछड़े इलाके गौइस में अपने नजदीकी रिश्तेदार के पास रहीं। इस दौरान उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें संघर्ष नहीं छोडऩा चाहिए।

हालांकि ब्राजील के एक अन्य ओलिम्पिक प्लेयर एना पॉला हेंकेल ने कहा कि ऐसा मत समझें कि मैं पक्षपात कर रहा हूं लेकिन इससे खिलाडिय़ों की मानसिकता पर फर्क पड़ेगा। आखिर खिलाड़ी क्या सोचकर खेलेंगी कि उनके साथ वह ट्रांसजैंडर खेल रही है जो पहले कभी ट्रांसजैंडर थी ही नहीं। वहीं इस पर वोली बौरू के कोच फ्रैंनेडो बोनाटो का कहना है कि टिफनी बहादुर है। हमें उम्मीद है कि वह ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देंगी।