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स्पोर्ट्स डेस्क : पूर्व भारतीय बल्लेबाज कीर्ति आजाद ने 1983 वर्ल्ड कप के दिनों को याद करते हुए कहा कि वह और कई अन्य साथी खिलाड़ियों को लगता था कि वह वर्ल्ड कप नहीं जीत पाएंगे। भारत ने 1983 वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया था और देश को कपिल देव की कप्तानी में पहला वर्ल्ड कप मिला था। 

कीर्ति आजाद ने एक इंटरव्यू के दौरान पुरानी यादों को ताजा करते हुए कहा, अच्छी, अच्छी यादें। मैं उस समय इंग्लैंड में एक पेशेवर के रूप में लंकाशायर के लिए खेल रहा था। मदन लाल, जिमी अमरनाथ, सुनील वालसन, रवि शास्त्री और दिलीप वेंगसरकर भी वहीं खेल रहे थे। अच्छे गर्मी के दिन थी। बहुत बारिश नहीं हुई थी। यह सूखा और अच्छा था। हमें जो भी पिचें मिल रही थीं, वे भारतीय पिचों की तरह थीं। घास नहीं थी, गेंद बल्ले से अच्छी तरह से आ रही थी। 

पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने कहा, मुझे याद है, मुझे कपिल ने प्रातः फोन करते कहा, बधाई हो कीर्ति तेरा नाम आ गया है। मैंने कपिल का धन्यवाद किया। एक महीने का फ्री सवैतनिक छुट्टी मिल गई। जो 8 टीमें थीं, उनमें से हम नीचे से दूसरे नम्बर पर थे। अंतिम जिम्बाब्वे था और अगर भारत जीतता था तो यह 66 से 1 था। 

सेमी-फाइनल की जीत में अहम भुमिका निभाने वाले आजाद ने कहा, हमने यह भी सोचा कि हम अन्य महान टीमों की वजह से कभी नहीं जीत पाएंगे। हमारे पास कोई मौका नहीं था, कोई हमें मौका देगा भी नहीं। हालांकि कपिल देव के नेतृत्व वाली टीम ने प्रतियोगिता जीतने के लिए सभी बाधाओं को दूर किया। फाइनल में भारत ने अपने पहले विश्व कप जीतने के लिए सिर्फ 183 रन का बचाव करते हुए शक्तिशाली वेस्टइंडीज को हराया। 

कीर्ति ने खुलासा किया कि टीम श्रीलंका और यूनीवर्सिटी टीम के खिलाफ तीन वार्म-अप मैच हार गई थी। फिर उन्होंने कपिल देव को ऐतिहासिक जीत का श्रेय दिया और उन्हें महान ऑलराउंडर के रूप में सम्मानित किया। उन्होंने उसे रिचर्ड हेडली और इयान बॉथम से बेहतर बताया।