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मेलबर्न: आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने 2003 के विश्व कप फाइनल में खेली गई 140 रन की शानदार पारी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने आखिरी ओवर तक क्रीज पर रह कर 300 रन बनाने के बजाय भारतीय आक्रमण के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार करना बेहतर समझा। भारत को 125 रन से हराकर आस्ट्रेलिया ने तब विश्व कप के खिताब को अपने पास बरकरार रखा था। कुछ दिन पहले इसकी 17वीं वर्षगाठ थी। पोंटिंग की नाबाद 140 रन की पारी के दम पर आस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में दो विकेट पर 359 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया था। 

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पोंटिंग ने कहा, ‘दूसरे ड्रिक्स ब्रेक में जब 15 ओवर बचे थे और हमने दो विकेट गंवा दिए थे तब मैंने 12वें खिलाड़ी को कहा कि ड्रेसिंग में दूसरे बल्लेबाजों को तैयार रहने के लिए कहो क्योंकि मैं अभी से आक्रामक रुख अपनाउंगा।' पोंटिंग ने क्रिकेट डाट एयू पर अपलोड किए गए वीडियो में कहा, ‘अगर यह योजना चल गयी तो हम काफी बड़ा स्कोर खड़ा कर लेंगे। मैं आखिर तक बल्लेबाजी कर इस भारतीय गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ 300 रन बनाकर खुश नहीं रहूंगा। अगर मैं अभी से तेजी से रन बनाऊंगा तो यह संभव है।' उन्होंने कहा, ‘मेरे बाद (डेरेन) लेहमन, माइकल (बीवेन), (एंड्रयू) साइमंड्स जैसे बल्लेबाज थे जिन पर मुझे काफी भरोसा था।' 

पोंटिंग ने यह भी बताया कि उन्होंने उंगुली में फ्रैक्चर के बाद भी डेमियन मार्टिन से मैच में खेलने के बारे में कैसे पूछा। उन्होंने कहा, ‘मैंने मार्टिन से कहा, मेरी आंखों में देखो और बताओ की तुम खेल सकते हो कि नहीं। मैं चाहता था कि वह फाइनल में खेले। वह शानदार खिलाड़ी और स्पिन के खिलाफ शानदार बल्लेबाज है।' इस मुकाबले में मार्टिन 88 रन पर नाबाद थे और उन्होंने कप्तान के साथ 234 रन की अटूट साझेदारी की थी। पोटिंग ने इस मौके पर ट्विटर पर उस बल्ले की तस्वीर को साझा किया जिससे उन्होंने इस विश्व कप फाइनल में नाबाद शतकीय पारी खेली थी।